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taCSystem

Tribal Administration & Control System आदिवासी समाज की सभी परम्परागत प्रशासनिक व्यवस्थाओं का एकीकृत नाम है।

आदिवासी समाज की सबसे बड़ी शक्ति उसकी परम्परागत स्वशासन व्यवस्था है, जो हजारों वर्षों से हमारे समाज को एकजुट रखती आई है। पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था विभिन्न आदिवासी समुदायों की अलग - अलग नाम से जाना जाता है, जैसे -

Tribe Name
Population Count
System Names
Munda
22,28,661
Munda - Manki
Oraon
36,96,899
Padha - Raja
Santhal
65,70,807
Majhi - Pargana
Gond
1,13,44,629
Bhil
1,06,18,068

भील, गोंड, हल्बा, मुण्डा, खड़िया, बोडो, कोल, नायक, सहरिया, संथाल, भूमिज, हो, उरांव, बिरहोर, पारधी, असुर, संथालों में माझी - परगाना प्रणाली, मुण्डा और हो समाज की मुण्डा - मानकी प्रणाली, महली समाज माझी - परगाना व्यवस्था ये सब हमारी पहचान और अस्मिता के प्रतीक हैं।

इन सभी को अब एक साझा नाम और पहचान देने का प्रस्ताव है – TAC SYSTEM (Tribal Administration & Control System)​

​भारत के आदिवासी समाज अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, प्रकृति से गहरा जुड़ाव और सामूहिक जीवन पद्धति के लिए विश्वभर में जाना जाता है। आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था और पंचायती राज संस्थाओं के बहुत पहले से आदिवासी समाज ने अपनी विशिष्ट पारम्परिक स्वशासन व्यवस्था विकसित की थी, जो लोकतंत्र का जीवंत उदाहरण है। यह व्यवस्था न केवल सामाजिक जीवन को नियंत्रित करती थी, बल्कि धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक परंपराएँ, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और न्याय प्रणाली तक को अपने में समेटे हुए थी। आज जब हम आदिवासी समाज की पहचान, अधिकार और अस्तित्व की बात करते हैं, तो परम्परागत स्वशासन व्यवस्था उसका सबसे मजबूत स्तंभ बनकर सामने आती है।

 

​मानव सभ्यता का वास्तविक इतिहास तब से शुरू होता है जब इंसान ने जंगलों, पहाड़ों और नदियों के बीच अपनी ज़िंदगी को बसाया। इस धरती के सबसे पहले बाशिंदे यानी आदिवासी ही है जिन्होंने प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए जीवन जीने का एक अनूठा तरीका दुनिया को दिखाया। भारत में आदिवासियों का इतिहास वैदिक इतिहास से भी पुराना है। अनुमान अनुसार, भारतीय उपमहाद्वीप में मानव के सबसे पुराने अवशेष करीब 15 लाख साल पुराने माने जाते हैं। वैदिक सभ्यताओं का इतिहास मात्र 3600 साल पुराना है, जबकि आदिवासी सभ्यताएं उससे कई हजार साल ज्यादा पुरानी हैं।

 

​​​आदिवासी समाज भारत ही नहीं बल्कि विश्व के सबसे प्राचीन समुदायों में शामिल है। उनकी संस्कृति, जीवनशैली, इतिहास और स्वतंत्रता की लड़ाई विभिन्न क्षेत्रों और कालखंडों में महत्वपूर्ण रही है, लेकिन आधुनिक समय में इनके अस्तित्व और अधिकारों पर कई तरह की चुनौतियाँ भी खड़ी हुई हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि आधुनिक विकास और उपनिवेशवादी ताकतों ने इन आदिवासियों के अस्तित्व को बार-बार चुनौती दी। उनकी ज़मीन छीनी गई, उनकी संस्कृति को कुचला गया और उनकी पहचान को मिटाने की कोशिश की गई।

TAC System का उद्देश्य है, आदिवासी समाज की परम्परागत प्रशासनिक व्यवस्थाओं को एक मंच पर लाना और उन्हें आधुनिक समय में नई ताकत देना। इस प्रणाली का मूल आधार ग्राम सभा है, जो हर निर्णय की सर्वोच्च शक्ति है। चाहे वह सामाजिक विवाद का निपटारा हो, धार्मिक आयोजन, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, या सांस्कृतिक परंपराओं का संरक्षण और संचालन ग्राम सभा और उसके पारम्परिक पदाधिकारियों के माध्यम से होता है। TAC System सभी आदिवासी समुदायों की परम्परागत शासन व्यवस्था को एक साझा छतरी के नीचे लाना हैं, आदिवासी समाज की एकता, अस्मिता और अधिकारों को सुनिश्चित हो सकेगी। इससे विभिन्न जनजातियों के बीच की प्रशासनिक व्यवस्थाओं का संचालन सुचारु रूप से आगे बढेगा। स्वशासन की परम्परा को आधुनिक समय में नई शक्ति मिलेगी। इसका सीधा लाभ यह होगा कि जल, जंगल, जमीन और संस्कृति की सुरक्षा अधिक सशक्त तरीके से की जा सकेगी। साथ ही, यह व्यवस्था नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम करेगी और समाज को आधुनिक चुनौतियों से लड़ने की क्षमता देगी।

​TAC System – Tribal Administration & Control System आदिवासी समाज की परम्परागत स्वशासन व्यवस्था को एक साझा पहचान देने का प्रयास है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक ढाँचा नहीं बल्कि हमारी संस्कृति, अस्मिता और अस्तित्व को सुरक्षित रखने का आंदोलन है। अब समय आ गया है कि सभी आदिवासी समाज इस TAC System के बैनर तले एकजुट होकर अपने अधिकार और पहचान को मजबूत करें।

 

​👉 “हमारी एकता ही हमारी ताकत है। TAC System – एक साझा आवाज, एक साझा पहचान।” 🌿🔥

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