top of page
1441470-day_edited.jpg

भारत की विविध सांस्कृतिक धरोहर में आदिवासी समाजों का स्थान अत्यंत विशिष्ट है। झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, त्रिपुरा, छतीसगढ़ और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों एवं दुनियाँ भर में बसे आदिवासी समुदाय अपनी परंपराओं, संस्कृति और स्वशासन व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक है महली समाज, जिसकी अपनी अनूठी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था  है जिसे आदिम महली माहाल कहा जाता है।

 

आदिम महली माहाल की उत्पत्ति इतिहास के उन दिनों से जुड़ी हुई मानी जाती है जब महली समाज जंगलों और पहाड़ों के बीच अपने गाँवों को संगठित करता था। उस समय किसी भी बाहरी शासन या कानून का हस्तक्षेप समाज में नहीं था। समाज के संचालन और विवादों के निपटारे के लिए माझी बाबा (गाँव प्रमुख) और उनके सहयोगियों के द्वारा की जाती थी। धीरे - धीरे यह प्रणाली विस्तृत होती गई और इसमें परगना, गोडेत, नायके, पारणिक जैसे पद विकसित हुए।

 

इस व्यवस्था की मूल जड़ें ग्रामसभा की परंपरा से जुड़ी हुई हैं। महली समाज में हर निर्णय सामूहिक रूप से लिया जाता है और गाँव की सभा (ग्रामसभा) ही सर्वोच्च मानी जाती है। यही लोकतांत्रिक भावना आदिम महली माहाल की नींव है।

 

आदिम महली माहाल केवल एक प्रशासनिक ढांचा नहीं है, बल्कि यह समाज की आत्मा, पहचान और एकता का प्रतीक है। यह व्यवस्था न केवल सामाजिक अनुशासन बनाए रखती है, बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी परंपराओं को जीवित भी रखती है। यह प्रणाली महली समाज की संस्कृति, धार्मिक आस्था, सामाजिक नियम और सामूहिक निर्णय-प्रक्रिया का आधार है।

adim mahali mahal

आदिम महली माहाल महली समाज की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था है, जो सदियों से गाँव और समाज को संगठित करने का काम करती आ रही है। इसमें माझी बाबा, परगना, गोडेत, नायके, पारणिक, माझी होपोन जैसे पारंपरिक पदाधिकारी शामिल होते हैं, जिनकी अपनी-अपनी जिम्मेदारियाँ और भूमिकाएँ होती हैं। यह व्यवस्था न केवल सामाजिक अनुशासन और विवाद निपटान का कार्य करती है, बल्कि समाज की रीति-रिवाज, परंपरा, पूजा-पद्धति और सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित और संचालित करती है। आदिम महली माहाल ही समाज की असली पहचान और आधार है, जो सामूहिक निर्णय, ग्रामसभा की शक्ति और एकता के बल पर महली समाज के विकास और अस्तित्व को बनाए रखता है।

इस व्यवस्था की मूल जड़ें ग्रामसभा की परंपरा से जुड़ी हुई हैं। महली समाज में हर निर्णय सामूहिक रूप से लिया जाता है और गाँव की सभा (ग्रामसभा) ही सर्वोच्च मानी जाती है। यही लोकतांत्रिक भावना आदिम महली माहाल की नींव है।

आदिम महली माहाल के प्रमुख कार्य

1. सामाजिक विवादों का समाधान

  • आपसी झगड़े, जमीन-जायदाद, विवाह या किसी भी सामाजिक असहमति को ग्रामसभा और माझी बाबा के माध्यम से सुलझाया जाता है।

  • इस प्रक्रिया में न्याय और समानता की भावना सर्वोपरि रहती है।

2. रीति-रिवाज और परंपरा का संरक्षण

  • विवाह, छठी, परम, मृत्युकर्म जैसे सभी सामाजिक अनुष्ठानों में आदिम महली माहाल की भागीदारी रहती है।

  • यह सुनिश्चित करता है कि परंपराएँ सही रूप से और समानता के साथ पालन की जाएँ।

3. धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य

  • जाहेरथान, माँदरघाट, मड़ई, करमा, सरहुल जैसे पर्व-त्योहारों का आयोजन और देखरेख।

  • पारंपरिक वाद्ययंत्र, नृत्य और गीतों को जीवित रखना।

4. सामूहिक निर्णय और विकास

  • गाँव में सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि से जुड़े सामूहिक निर्णय आदिम महली माहाल द्वारा लिए जाते हैं।

  • किसी भी सरकारी योजना को गाँव में लागू करने से पहले ग्रामसभा से सहमति ली जाती है।

5. एकता और अनुशासन बनाए रखना

  • समाज में अनुशासन, नियम और एकता बनाए रखना इस व्यवस्था का मूल उद्देश्य है।

  • कोई भी व्यक्ति समाज-विरोधी कार्य करता है तो उसके खिलाफ निर्णय लिया जाता है।

आदिम महली माहाल और पंचायती राज व्यवस्था

संविधान के 5वीं अनुसूची और PESA अधिनियम (1996) में यह स्पष्ट किया गया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा सर्वोच्च होगी। यह प्रावधान आदिम महली माहाल की परंपरा से मेल खाता है।पंचायती राज व्यवस्था आधुनिक स्वरूप है, जबकि आदिम महली माहाल प्राचीन और परंपरागत स्वरूप है। दोनों में सामंजस्य बनाना समय की आवश्यकता है।

 

आदिम महली माहाल का धार्मिक महत्व

महली समाज प्रकृति पूजक है और सारना धर्म का पालन करता है।

  • जाहेरथान (पवित्र स्थान) में पूजा,

  • फसल कटाई का पर्व,

  • करमा नृत्य,

  • मड़ई और सरहुल उत्सव,

ये सब आदिम महली माहाल के नेतृत्व में संपन्न होते हैं।

 

वर्तमान चुनौतियाँ

  1. आधुनिकीकरण और शहरीकरण – परंपरागत व्यवस्था धीरे-धीरे कमजोर हो रही है।

  2. सरकारी हस्तक्षेप – पंचायत और प्रशासन की दखल से पारंपरिक ग्रामसभा की शक्ति घट रही है।

  3. युवाओं का मोहभंग – नई पीढ़ी गाँव छोड़कर शहरों की ओर जा रही है और परंपरा से दूर हो रही है।

  4. सामाजिक असमानता – कई बार समाज के भीतर गुटबाजी और विवाद से माहाल कमजोर होता है।

  5. बाहरी हस्तक्षेप – समाज से बाहर के लोग महली समाज के रिवाज और कानून बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो पारंपरिक स्वायत्तता पर संकट है।

 

आज के दौर में प्रासंगिकता

  • एकता और पहचान बनाए रखने में यह व्यवस्था आज भी जरूरी है।

  • कानूनी अधिकार – PESA और 5वीं अनुसूची के तहत आदिम महली माहाल को संवैधानिक मान्यता मिल सकती है।

  • युवाओं की भागीदारी – नई पीढ़ी को परंपरा से जोड़ना इसकी मजबूती के लिए आवश्यक है।

  • सामाजिक विकास – शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और महिला सशक्तिकरण में भी माहाल की भागीदारी बढ़ाई जा सकती है।

आदिम महली माहाल केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि यह महली समाज का आत्मसम्मान, पहचान और अस्तित्व है। यह व्यवस्था सदियों से समाज को संगठित, अनुशासित और एकजुट रखे हुए है। आज की परिस्थितियों में जब बाहरी ताकतें महली समाज की परंपराओं में हस्तक्षेप कर रही हैं, तब आदिम महली माहाल की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह केवल परंपरागत कानून का संरक्षक नहीं है, बल्कि समाज की लोकतांत्रिक शक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का रक्षक है। युवाओं और नई पीढ़ी का दायित्व है कि वे अपने पूर्वजों की इस धरोहर को संजोकर रखें और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएँ।

आदिम महली माहाल की संरचना

आदिम महली माहाल का ढांचा पूरी तरह से पदानुक्रम (Hierarchy) पर आधारित है।

इसमें प्रत्येक पदाधिकारी का एक निश्चित दायित्व और अधिकार होता है।

Majhi

माझी बाबा (गाँव प्रमुख)

  • गाँव के मुखिया या प्रधान कहलाते हैं।

  • गाँव के विवादों का निपटान, निर्णय लेना और समाज को एकजुट रखना इनकी जिम्मेदारी होती है।

  • विवाह, मृत्यु, जन्म और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में इनकी विशेष भूमिका होती है।

Godet

गोडेत (संवाहक)

  • माझी बाबा के सहायक और समाज के प्रहरी की भूमिका निभाते हैं।

  • ग्रामसभा की सूचनाएँ गाँव-गाँव तक पहुँचाना, व्यवस्था बनाए रखना और निर्णयों को लागू कराना इनका काम होता है।

Pargana

परगना बाबा (प्रशासनिक प्रमुख)

  • कई गाँवों की देखरेख करने वाले वरिष्ठ पदाधिकारी।

  • यदि किसी गाँव में विवाद नहीं सुलझता तो परगना बाबा के समक्ष मामला प्रस्तुत किया जाता है।

  • इनका निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है।

Paranik

पाराणिक (सलाहकार)

  • समाज की सांस्कृतिक गतिविधियों और परंपराओं की रक्षा करते हैं।

  • गीत, नृत्य और अन्य सामाजिक अनुष्ठानों में नियम-व्यवस्था बनाए रखते हैं।

Nayke

नायके (पुजारी)

  • धार्मिक अनुष्ठानों और जाहेरथान (सारना स्थल) की देखरेख करते हैं।

  • त्योहारों और पूजा-पद्धति को परंपरा अनुसार संपन्न कराना इनका दायित्व है।

Jog Majhi

जोग माझी (युवा नेतृत्वकर्ता)

पाराणिक (सलाहकार)

  • जिसे विशेष रूप से गाँव के युवाओं की देखरेख और मार्गदर्शन हेतु नियुक्त किया जाता है।

  • यह पद समाज की निरंतरता, अनुशासन और आने वाली पीढ़ी की सही दिशा सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

Work Section

Contact

© 2025 SSMahali.com

Musabani, Jamshedpur

Jharkhand, INDIA - 832104

​​

  • Facebook
  • X
  • Instagram
  • Youtube
bottom of page