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महली आदिवासी समाज की उन्नति और एकता के लिए मिलकर कार्य करने का लिया संकल्प, देश और समाज का नेतृत्व करने वाली बेटी को किया गया सम्मानित।

  • लेखक की तस्वीर: S S Mahali
    S S Mahali
  • 1 दिन पहले
  • 4 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 10 घंटे पहले

दिनांक 19 अक्टूबर 2025 (रविवार) को आदिम महली माहाल के तत्वावधान में पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी डाक बंगला, जिला परिषद परिसर में एक महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता श्री सोबरा हेंब्रम (तोरोप पारगाना) ने की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य महली पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था (Majhi–Pargana System) पर हो रहे प्रहारों की समीक्षा करना, AIMAA की कार्यप्रणाली में पाई जा रही अनियमितताओं पर विचार-विमर्श करना तथा संगठन के भविष्य को लेकर ठोस नीतिगत निर्णय लेना था।

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बैठक की शुरुआत पारंपरिक विधि-विधान से की गई, इसके पश्चात् समाज के विभिन्न राज्यों — झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से आए प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। सभी ने एक स्वर में कहा कि हाल के दिनों में महली पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था पर बाहरी हस्तक्षेप और कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम समाज की एकता और परंपरा के लिए हानिकारक हैं।

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सभी उपस्थित प्रतिनिधियों ने यह निर्णय लिया कि समाज की इस गौरवशाली परंपरा और स्वशासन व्यवस्था को सुदृढ़ एवं संरक्षित रखने के लिए एक संयुक्त नीति और रणनीति बनाई जाएगी। इस नीति के तहत झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की पारंपरिक व्यवस्थाए मिलकर समाजहित में कार्य करेंगी।

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बैठक में AIMAA (All India Mahali Adivasi Association) द्वारा प्रसारित भ्रामक जानकारियों और संगठनात्मक कार्यों में पाई जा रही अनियमितताओं पर भी गहरी चिंता व्यक्त की गई। सभी सदस्यों ने यह मत प्रकट किया कि AIMAA की कार्यशैली समाजहित में नहीं है और संगठन में पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतांत्रिक मूल्यों की कमी स्पष्ट दिखाई देती है। अतः यह आवश्यक है कि संगठन को सही दिशा में संचालित किया जाए और इसके कार्य समाज की इच्छा और परंपरा के अनुरूप हों।

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बैठक में यह भी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ कि 11 नवम्बर, जिसे AIMAA “महली दिवस” के रूप में प्रचारित कर रही है, उसे महली समाज द्वारा अस्वीकार करता है। प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि इस तिथि को “AIMAA दिवस” के रूप में मनाया जा सकता है, लेकिन इसे “महली दिवस” का दर्जा देना समाज की एकता और परंपरा का अपमान है।

  • महली नाम से चल रहे सभी संगठनों का सामाजिक अंकेक्षण करेगा महली समाज।

  • 11 नवम्बर आइमा दिवस के रूप में मनाए, महली दिवस की संज्ञा देना स्वीकार्य नहीं।

  • असमाजिक कार्य करने वाले संगठनों में व्यवस्था के पदाधिकारी का सहयोग समाज पुरजोर विरोध करता हैं।

  • समाज में भ्रम फैलाने वाले अवैध संगठन AIMAA से महली समाज के लोग सावधान ⚠️ रहें।

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इस अवसर पर समाज की गौरवशाली बेटी मालोती हेंब्रम को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्होंने हाल ही में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में आयोजित प्रतिष्ठित German–India Summit (G2C–2025) में भारत का प्रतिनिधित्व कर देश और विशेष रूप से आदिवासी समाज का नाम ऊँचा किया। अपने संबोधन में उन्होंने समाज में शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और नेतृत्व विकास के महत्व पर बल दिया और युवाओं को आत्मनिर्भरता एवं संघर्षशीलता का संदेश दिया।

साथ ही, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से आए प्रतिनिधियों को भी समाज में उनके योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इनमें प्रमुख रूप से अलोका बेसरा (पश्चिम मिदनापुर), नारायण बास्के (पश्चिम मिदनापुर), दासिया माहली (मिदनापुर), बसुदेव मार्डी, मंगल माहली, नंदलाल माहली, सहदेव सोरेन, सालखू बेसरा, अकलू सोरेन और ओडिशा से आए अन्य प्रतिनिधि शामिल थे। समाज के प्रतिनिधियों ने उनके सामाजिक समर्पण और सक्रिय भूमिका की सराहना की।


बैठक के अंत में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि महली समाज की एकता, परंपरा और स्वशासन व्यवस्था की रक्षा के लिए सभी राज्यों के प्रतिनिधि मिलकर एक साझा रणनीति तैयार करेंगे। साथ ही, पारंपरिक व्यव्यवस्था के कार्यों में पारदर्शी, निष्पक्ष और समाजहित में संचालित करने हेतु तीनों राज्यों से आये विभिन्न पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था माहली आदिवासी समाज, माहली माहाल, आदिम महली माहाल को केंद्रीय समन्वय इकाई के रूप में सशक्त किया जाएगा। सर्वसम्मति से यह भी निर्णय लिया गया कि महली समाज की एकता, संस्कृति और पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था की रक्षा के लिए तीनों राज्यों की संस्थाएँ —

आदिम महली माहाल (झारखंड), महली आदिवासी समाज (ओडिशा) और महली माहाल (पश्चिम बंगाल) — मिलकर समाजहित में कार्य करेंगी। इन पारंपरिक व्यवस्था के माध्यम से शिक्षा, संस्कृति, रोजगार, महिला सशक्तिकरण और युवा नेतृत्व के क्षेत्रों में संयुक्त पहल की जाएगी। विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधि ने आगाह की कि समाज में असामाजिक गतिविधि और भ्रामक जानकारी फैलाने वाले अवैध संगठन AIMAA से महली समाज के लोगों के सावधान ⚠️ रहने का संदेश जारी किया।

बैठक में प्रमुख रूप से शेखर चंद्र माहली, सोबरा हेंब्रम, बसुदेव मार्डी, मंगल माहली, सुनील मार्डी, शंकर सेन माहली, गौरांग बेसरा, नंदलाल माहली, अकलू सोरेन, सालखू बेसरा, लक्ष्मी चरण बास्के, सहदेव सोरेन, अलोक बेसरा, नारायण बास्के, दासिया माहली, राम बास्के, सुराई बास्के, दुलाल माहली और कार्तिक माहली सहित अनेक समाजसेवी उपस्थित रहे। यह बैठक महली समाज के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हुई, जिसने समाज की एकता, परंपरा और स्वाभिमान को नई दिशा दी। अंत में सभी प्रतिनिधियों ने समाज की उन्नति और एकता के लिए मिलकर कार्य करने का संकल्प दोहराया। ✊✨


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