
ग्रामसभा जंगल प्रबंधन के लिए सक्षम : वन विभाग नोडल एजेंसी नहीं।
- S S Mahali

- 20 अग॰
- 5 मिनट पठन
🌿 ग्राम सभाएं ही बनाएंगी जंगल (CFR) प्रबंधन योजनाएं — वन विभाग सिर्फ़ सहयोगी।

तारीख़: 18 अगस्त 2025
स्थान: नई दिल्ली

केंद्र सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय (MoTA) ने स्पष्ट किया है कि सामुदायिक वन संसाधन (Community Forest Resource—CFR) प्रबंधन योजनाएं सिर्फ़ ग्राम सभाएं और उनकी सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समितियाँ (CFRMCs) ही तैयार करेंगी।
वन विभाग इन योजनाओं का निर्माण नहीं ❌कर सकता; उसकी भूमिका तकनीकी/प्रशासनिक सहयोग तक सीमित है। यह स्पष्टीकरण 17–18 अगस्त 2025 को प्रकाशित रिपोर्टों में सामने आया और हालिया भ्रम—विशेषकर एक राज्य स्तर के परिपत्र—को संबोधित करता है।
कानूनी आधार: FRA, 2006 और नियम
FRA Rules, 2007 (संशोधित) की नियम 4(1)(e) ग्राम सभा को यह अधिकार देती है कि वह अपने सदस्यों में से वन्यजीव, वन और जैव विविधता की रक्षा हेतु समिति का गठन करे।
नियम 4(1)(f) के अनुसार यही समिति CFR के संरक्षण और प्रबंधन की योजना तैयार करती है; ग्राम सभा इस समिति की निगरानी करती है।
MoTA की FAQ/दिशा-निर्देश भी स्पष्ट करते हैं कि Forest Rights Committee और नियम 4(1)(e) के तहत बनी समिति के अलावा अन्य किसी समिति/एजेंसी को ग्राम सभा के कार्यों में अधिकार नहीं है।
मतलब साफ़ है: CFR प्रबंधन योजना कानूनी रूप से ग्राम सभा-नेतृत्व में बनेगी; किसी विभाग/NGO द्वारा अपने स्तर पर योजना बनाना FRA की मंशा के विपरीत होगा।
क्या बदला और क्यों ज़रूरी था?
कुछ राज्यों में जारी निर्देशों/परिपत्रों से यह धारणा बनी कि CFR भूमि/योजनाओं पर वन विभाग संचालन करेगा। MoTA के ताज़ा स्पष्टीकरण ने दोहराया कि नोडल भूमिका FRA के अंतर्गत जनजातीय/सामाजिक न्याय तंत्र के पास है और योजना-निर्माता ग्राम सभा है; वन विभाग सुविधादाता (facilitator) की भूमिका निभाएगा—न कि नोडल एजेंसी।
DA-JGUA: ग्राम सभाओं के लिए सहायक ढांचा
धर्ति आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (DA-JGUA) के तहत ग्रामीण/जनजातीय क्षेत्रों में भागीदारी आधारित प्रशासन, क्षमता-विकास और बहु-विभागीय समन्वय पर ज़ोर है। MoTA ने संकेतक (indicative) ढांचे/मार्गदर्शिका की बात कही है, जिसे ग्राम सभा अपनी स्थानीय परिस्थिति के अनुसार अपनाए/सुधारे। यह एक ही तरह की “एक-माप-सबपर” योजना को अस्वीकार करता है और स्थानीय स्वायत्तता को मान्यता देता है।
वन विभाग की भूमिका—क्या करे, क्या न करे
क्या करे: तकनीकी सलाह, मानचित्र/भौगोलिक सूचना, वनगणना डेटा, वन्यजीव-रक्षा उपायों पर सहयोग; स्वीकृत CFRMP को कार्य-योजना/वर्किंग प्लान में समेकित कराने में मदद।
क्या न करे: ग्राम सभा की जगह योजना खुद बनाना, समिति का गठन/विघटन अपने स्तर पर करना, या ग्राम सभा की स्वीकृति के बिना “टॉप-डाउन” कार्यान्वयन करना।
ग्राम सभाओं के लिए चरणबद्ध “रोडमैप” (CFRMP कैसे बनाएं)
1) संस्थागत तैयारी ✅
ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर CFRMC गठित/अद्यतन करें; सदस्यों की जिम्मेदारियाँ और कार्य-काल स्पष्ट करें।
FRA नियमों/स्थानीय प्रथाओं का संक्षिप्त आचार-संहिता तैयार करें।
2) संसाधन सूचीकरण (Resource Inventory) 🗺️
सीमा-चिह्नन/मानचित्रण: परंपरागत उपयोग क्षेत्र, धाराएँ, sacred groves, चराई/महा-उत्पाद (NTFP) क्षेत्र चिन्हित करें।
जैव-विविधता सूची: प्रमुख वृक्ष/झाड़ियाँ, वन्यजीव, संकटग्रस्त प्रजातियाँ, आक्रामक प्रजातियाँ, आग/मानव-वन्यजीव संघर्ष बिंदु।
उपयोग पैटर्न: ईंधन, चारा, तेंदूपत्ता, साल बीज/पत्ते, लाख, महुआ, बाँस—मौसमी कैलेंडर बनाएं।
3) संरक्षण एवं उपयोग के नियम 🔒
कटाई/संग्रह मानक: न्यूनतम व्यास, रोटेशन, निषिद्ध क्षेत्र/मौसम, महिला/वंचित समूहों की प्राथमिकता।
आग प्रबंधन: आग-रेखाएँ, सामूहिक निगरानी, दंड/प्रोत्साहन।
वन्यजीव संरक्षण: संवेदनशील गलियारों में प्रतिबंध; कैमरा/ट्रैप/समुदाय चौकी।
4) उपार्जन और लाभ-साझेदारी 💰
NTFP मूल्य-श्रृंखला: संग्रह–भंडारण–प्रसंस्करण–विपणन; सहकारी/एफपीओ से जुड़ाव; न्यूनतम समर्थन मूल्य का संदर्भ।
लाभ-साझेदारी नियम: ग्राम निधि, सामुदायिक कार्य (जल, स्कूल, स्वास्थ्य), महिला समूहों में पुनर्निवेश।
5) कार्य-योजना और बजट 📅
वार्षिक/त्रैवार्षिक लक्ष्य: पौधरोपण (देशज प्रजातियाँ), तालाब/नाला सुधार, मृदा-संरक्षण, आग/गश्त।
बजट स्रोत: MGNREGS, CAMPA, 15वाँ वित्त आयोग, वनाग्नि/आपदा मद, DA-JGUA/अन्य अभिकरणों का अभिसरण।
6) अनुमोदन और समेकन 🧩
मसौदा ग्राम सभा में पढ़कर सर्वसम्मति/बहुमत से पारित करें; कार्यवृत्त संलग्न करें।
जिला-स्तरीय समिति (DLC)/प्राधिकरण के साथ साझा करें ताकि वन विभाग के वर्किंग प्लान/माइक्रो-प्लान में समेकन हो सके—पर योजना का स्वामित्व ग्राम सभा के पास ही रहता है।
7) निगरानी और सामाजिक अंकेक्षण 🔍
समुदाय-आधारित M&E: सरल सूचकांक—जीवित पौध प्रतिशत, आग की घटनाएँ, NTFP आय, अवैध कटाई में कमी।
त्रैमासिक समीक्षा: ग्राम सभा में प्रगति साझा; आवश्यकतानुसार योजना में संशोधन।
संस्थागत समन्वय: SLMC और ज़िला स्तर की व्यवस्थाएँ : MoTA ने ज़ोर दिया है कि State Level Monitoring Committees (SLMCs) और ज़िला स्तर की समितियाँ नियमित रूप से बैठक करें, जिससे CFRMP का क्रॉस-डिपार्टमेंटल अभिसरण (जल, सड़क, ऊर्जा, आजीविका) तेज़ हो। यह DA-JGUA के बहु-विभागीय दृष्टिकोण के अनुरूप है।
सामान्य भूलें जिनसे बचना चाहिए ⚠️
1. योजना का आउटसोर्सिंग: किसी NGO/कंसल्टेंट/विभाग से योजना लिखवा लेना—यह FRA की आत्मा के विपरीत है। ग्राम सभा को खुद प्रक्रिया का स्वामी बनना होगा।
2. ग्राम सभा अनुमोदन के बिना क्रियान्वयन: ड्राफ़्ट को अनिवार्यतः ग्राम सभा में पढ़कर अनुमोदित करें; हस्ताक्षर/उपस्थिति-पत्रक सुरक्षित रखें।
3. वन विभाग द्वारा ‘टॉप-डाउन’ निर्देश: विभाग सहयोगी है; नोडल/योजना निर्माता नहीं।
त्वरित “चेकलिस्ट” ✅
CFRMC का वैध गठन (नियम 4(1)(e)) और कार्यवृत्त
संसाधन-मानचित्र, मौसमी उपयोग कैलेंडर
संरक्षण/उपयोग/दंड-प्रोत्साहन के स्पष्ट नियम
NTFP वैल्यू-चेन और लाभ-साझेदारी खाका
वार्षिक क्रियान्वयन तालिका + बजट/अभिसरण सूची
ग्राम सभा से अनुमोदन, हस्ताक्षर/उपस्थिति संलग्न
निगरानी सूचकांक और सामाजिक अंकेक्षण तिथियाँ
संक्षिप्त CFRMP टेम्पलेट (उदाहरण संरचना) 🧩
1. भूमिका और कानूनी आधार (FRA संदर्भ + ग्राम सभा संकल्प)
2. ग्राम प्रोफ़ाइल (जनसंख्या, आजीविका, संस्थाएँ)
3. CFR सीमा और संसाधन मानचित्र (पारंपरिक उपयोग/संवेदनशील क्षेत्र)
4. जैव-विविधता/पर्यावरण स्थिति (खतरे/आक्रामक प्रजातियाँ/आग)
5. उपयोग के नियम (कटाई मानक, निषिद्ध क्षेत्र, महिला/वंचित प्राथमिकता)
6. संरक्षण और पुनर्स्थापन योजना (देशज रोपण, मिट्टी-नमी, आग-रोध)
7. NTFP और आजीविका योजना (प्रसंस्करण, विपणन, सहकारी/एफपीओ)
8. लाभ-साझेदारी और ग्राम निधि
9. वार्षिक क्रियान्वयन कार्यक्रम (गतिविधि, जिम्मेदार, समयसीमा, बजट)
10. निगरानी एवं सामाजिक अंकेक्षण (सूचकांक, रिपोर्टिंग प्रारूप)
अब कुछ प्रश्न उठता हैं ❓
प्रशन.- क्या वन विभाग CFRMP बना सकता है?
उत्तर.- नहीं। योजना ग्राम सभा/CFRMC तैयार करेगी; वन विभाग सहयोगी होगा, नोडल/योजना-निर्माता नहीं।
प्रशन.- ग्राम सभा कौन-सी समितियाँ बना सकती है?
उत्तर.- Forest Rights Committee और नियम 4(1)(e) के तहत वन/जैव-विविधता संरक्षण समिति—इन्हीं की वैधानिक मान्यता है; अन्य समितियाँ वैध नहीं।
प्रशन.- क्या कोई “एक जैसा” मॉडल CFRMP अपनाना चाहिए?
उत्तर.- नहीं। MoTA ने कहा है कि देशज विविधता के कारण एक ही मॉडल सब पर लागू नहीं; स्थानीय रूपांतरण ज़रूरी है। DA-JGUA इस हेतु मार्गदर्शन देता है।
MoTA की ताज़ा स्पष्टता ने समुदाय-नेतृत्वित जंगल प्रबंधन की संवैधानिक/कानूनी व्यवस्था को फिर रेखांकित किया है — योजना ग्राम सभा बनाएगी, और विभाग/एजेंसियाँ सहयोग करेंगी। इससे जनजातीय स्वशासन, जैव-विविधता संरक्षण, और आजीविका सुरक्षा — तीनों को संस्थागत बल मिलता है।
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