
World Indigenous Day 2025
- S S Mahali

- 9 अग॰
- 4 मिनट पठन
International Day of the World’s Indigenous Peoples 2025

हर साल 9 अगस्त को पूरी दुनिया में International Day of the World’s Indigenous Peoples मनाया जाता है। यह दिन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के अस्तित्व, पहचान और अधिकारों की रक्षा के संकल्प का दिन है। इस वर्ष 2025 का विषय है — “Indigenous Peoples and AI: Defending Rights, Shaping Futures”, जिसका मतलब है आदिवासी अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए भविष्य को आकार देना, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के दौर में।
🇮🇳 भारत में आदिवासी दिवस का महत्व
भारत में 700 से अधिक आदिवासी जातियाँ हैं, जो देश की जनसंख्या का लगभग 8.6% हिस्सा हैं। सभी आदिवासी समाज न केवल प्राकृतिक संसाधनों के रक्षक हैं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के संवाहक भी हैं।
📜 पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1994 में इस दिन को घोषित किया।
यह दिन दुनिया के लगभग 500 मिलियन आदिवासी लोगों की समस्याओं, संघर्षों और योगदानों को याद करने का अवसर है।
भारत में, यह दिन आदिवासी समाज अपने इतिहास, संस्कृति और अस्तित्व को सुरक्षित रखने के संकल्प के रूप में मनाता है।
🎯 उद्देश्य
आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना।
उनकी संस्कृति, भाषा और परंपराओं को संरक्षित करना।
शोषण, विस्थापन और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाना।
जल-जंगल-जमीन और प्राकृतिक संसाधनों पर उनका पारंपरिक हक सुनिश्चित करना।
आदिवासी अधिकार दिवस
आदिवासियों के प्रमुख अधिकारों की विस्तृत सूची इस प्रकार हैं — जो भारतीय संविधान, विशेष कानूनों और अंतरराष्ट्रीय घोषणाओं (जैसे UNDRIP – United Nations Declaration on the Rights of Indigenous Peoples) से मान्यता प्राप्त हैं।

📜 आदिवासियों के अधिकारों की सूची
1. संवैधानिक अधिकार 🇮🇳
1. अनुच्छेद 14 – कानून के समक्ष समानता और समान संरक्षण का अधिकार।
2. अनुच्छेद 15(4) – सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए विशेष प्रावधान।
3. अनुच्छेद 16(4) – सरकारी नौकरियों में आरक्षण का अधिकार।
4. अनुच्छेद 19(5) – आदिवासी क्षेत्रों में भूमि खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध का प्रावधान।
5. अनुच्छेद 46 – अनुसूचित जनजातियों के आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना।
6. अनुच्छेद 243M & 243ZC – पंचायती राज और नगर निकायों में पांचवीं व छठी अनुसूची के अंतर्गत विशेष प्रावधान।
7. पांचवीं अनुसूची – अनुसूचित क्षेत्रों का प्रशासन और शासन व्यवस्था।
8. छठी अनुसूची – पूर्वोत्तर भारत के आदिवासी क्षेत्रों के लिए स्वायत्त परिषदें।
9. अनुच्छेद 330, 332, 334 – संसद और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण।
2. भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार 🌱
1. जल-जंगल-जमीन पर पारंपरिक अधिकार।
2. भू-संपत्ति संरक्षण कानून –
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act, 1908)
संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (SPT Act, 1949)
भूमि हस्तांतरण विनियम (PESA, 1996 के तहत)
3. वन अधिकार अधिनियम 2006 (FRA) –
वन भूमि पर व्यक्तिगत और सामुदायिक अधिकार।
वन उत्पादों (महुआ, तेंदूपत्ता, बांस आदि) पर स्वामित्व।
4. खनिज और संसाधन प्रबंधन में भागीदारी – DMF (District Mineral Foundation) में हिस्सेदारी।
3. स्वशासन और निर्णय लेने के अधिकार 🏛️
1. PESA Act 1996 – ग्राम सभा को अधिकार:
भूमि अधिग्रहण पर सहमति देने या न देने का हक।
खनन और औद्योगिक परियोजनाओं पर निर्णय का अधिकार।
पारंपरिक रीति-रिवाज और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने का हक।
2. ग्राम सभा का सर्वोच्च निर्णयकारी अधिकार।
4. सांस्कृतिक और पहचान से जुड़े अधिकार 🎭
1. भाषा और लिपि की सुरक्षा – संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं के साथ-साथ अन्य जनजातीय भाषाओं का संरक्षण।
2. धार्मिक स्वतंत्रता – अपने पारंपरिक धर्म (जैसे सरना, गोंड धर्म, सनातन आदिवासी परंपराएँ) का पालन करने का अधिकार।
3. त्योहार, नृत्य, गीत, परिधान और रिवाज को बनाए रखने का हक।
5. शिक्षा और रोजगार से जुड़े अधिकार 🎓💼
1. शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण।
2. सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों में नौकरी का आरक्षण।
3. छात्रवृत्ति और विशेष शैक्षिक योजनाएँ।
4. पेशा और व्यवसाय में स्वतंत्रता।
6. सुरक्षा और संरक्षण के अधिकार 🛡️
1. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 – जातिगत भेदभाव और हिंसा से सुरक्षा।
2. भूमि, जीवन और आजीविका की सुरक्षा।
3. पुलिस, प्रशासन और न्यायपालिका में विशेष प्रावधान।
7. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अधिकार 🌍 (UNDRIP, 2007 के अनुसार)
1. स्व-निर्णय का अधिकार।
2. अपनी भूमि, क्षेत्र और संसाधनों पर नियंत्रण का अधिकार।
3. संस्कृति, परंपरा और ज्ञान को संरक्षित करने का अधिकार।
4. मुफ़्त, पूर्व और सूचित सहमति (FPIC) के बिना कोई परियोजना लागू न होना।
5. स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास में समान अवसर।
🎯 2025 के विषय का महत्व – “AI और आदिवासी अधिकार” ✊2025 का ये विषय इस बात पर ज़ोर देता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का विकास आदिवासी समाज की भागीदारी और सहमति से होना चाहिए।
सकारात्मक पहलू:
>आदिवासी भाषाओं और लोककथाओं का डिजिटल संरक्षण।
>जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रबंधन में पारंपरिक ज्ञान का उपयोग।
खतरे:
>बिना अनुमति सांस्कृतिक डेटा का दुरुपयोग।
>आदिवासी पहचान का गलत चित्रण।
इसलिए, AI में आदिवासी समाज की meaningful participation और डेटा संप्रभुता ज़रूरी है।
💡आदिवासी अधिकार दिवस केवल अतीत की याद नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने का अवसर है। 2025 का विषय हमें याद दिलाता है कि तकनीक, अगर सही दिशा में और आदिवासी नेतृत्व के साथ उपयोग हो, तो यह उनकी संस्कृति और अधिकारों की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
आओ, इस 9 अगस्त को संकल्प लें —
"हम अपने जल-जंगल-जमीन, भाषा, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा करेंगे और तकनीक का इस्तेमाल अपने भविष्य को मजबूत बनाने में करेंगे।"
अधिक जानकारी/संपर्क करने के लिए अपना विवरण दें
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