top of page

UNDRIP आदिवासी अधिकारों की घोषणा

UNDRIP (United Nations Declaration on the Rights of Indigenous Peoples)

ree

UNDRIP का पूरा नाम है:

United Nations Declaration on the Rights of Indigenous Peoples

(संयुक्त राष्ट्र का स्वदेशी लोगों के अधिकारों पर घोषणा-पत्र)


मुख्य बातें ✍️

इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने आज के दिन 13 सितंबर 2007 को आदिवासीयों के अधिकारों के लिए घोषणा पत्र पारित किया था। यह अधिकारों की घोषणा-पत्र स्वदेशी जनजातियों के अधिकारों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता है। इसमें कुल 46 अनुच्छेद (Articles) हैं।



इसके उद्देश्य 🔎

1. स्वदेशी लोगों के मानवाधिकार और मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा करना।

2. उनकी सांस्कृतिक पहचान, परंपराओं, भाषाओं और धर्म को सुरक्षित करना।

3. स्वदेशी लोगों के भूमि, क्षेत्र और संसाधनों पर उनके अधिकारों को मान्यता देना।

4. उन्हें स्व-निर्णय (Self-determination) का अधिकार देना।

5. स्वदेशी समुदायों की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक संस्थाओं को मान्यता देना।


महत्व 🌍

  • यह घोषणा कानूनी रूप से बाध्यकारी (legally binding) नहीं है, लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय मानक (international standard) स्थापित करती है।


  • कई देशों ने इसके सिद्धांतों को अपनी नीतियों और कानूनों में शामिल किया है।


  • भारत जैसे देशों में, यह जनजातीय अधिकारों और भूमि-संरक्षण कानूनों को समझने और मजबूत करने में मददगार माना जाता है।


✨ UNDRIP ने यह स्वीकार किया गया है कि स्वदेशी लोग सदियों से अलग पहचान, संस्कृति और परंपराओं के साथ जीते आ रहे हैं। उन्हें उपनिवेशवाद, विस्थापन, भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ा है। इसलिए अब उनके अधिकारों की रक्षा करना मानवता और न्याय के लिए आवश्यक है।


🔹 अनुच्छेद 1–6 : मूल अधिकार

1. मानवाधिकारों का आनंद – स्वदेशी लोगों को वही सभी अधिकार प्राप्त हैं जो अन्य मनुष्यों को हैं।


2. भेदभाव से मुक्ति – जाति, पहचान, संस्कृति या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा।


3. स्व-निर्णय का अधिकार (Right to Self-Determination) – वे अपनी राजनीतिक स्थिति और विकास का रास्ता खुद तय कर सकते हैं।


4. स्वशासन का अधिकार – अपनी संस्थाओं, कानूनों और परंपराओं के अनुसार शासन करने का अधिकार।


5. संस्थाओं की मान्यता – अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं को बनाए रखने का अधिकार।


6. राष्ट्रीयता (Citizenship) – स्वदेशी लोग राष्ट्रीयता/नागरिकता पाने और रखने का अधिकार रखते हैं।


🔹 अनुच्छेद 7–10 : अस्तित्व और सुरक्षा

7. जीवन और पहचान – सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से अस्तित्व, विकास और सांस्कृतिक पहचान का अधिकार।


8. सांस्कृतिक विनाश से सुरक्षा – किसी को भी जबरन उनकी संस्कृति से वंचित नहीं किया जा सकता।


9. सदस्यता का अधिकार – वे अपनी समुदाय की सदस्यता का फैसला स्वयं करेंगे।


10. जबरन विस्थापन पर रोक – उन्हें उनकी भूमि से जबरन नहीं हटाया जा सकता।


🔹 अनुच्छेद 11–16 : संस्कृति और भाषा

11. सांस्कृतिक प्रथाओं की रक्षा – अपनी परंपरा, त्योहार, संगीत और नृत्य जारी रखने का अधिकार।


12. धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराएँ – पूजा स्थल और पवित्र स्थलों की सुरक्षा।


13. भाषा का संरक्षण – अपनी भाषा का प्रयोग और विकास।


14. शिक्षा – अपनी भाषा और संस्कृति पर आधारित शिक्षा प्रणाली बनाने का अधिकार।


15. इतिहास और परंपरा की मान्यता – उनके इतिहास और योगदान को शिक्षा और समाज में मान्यता मिले।


16. मीडिया तक पहुँच – अपने मीडिया (रेडियो, टीवी, इंटरनेट) और संचार माध्यमों पर अधिकार।


🔹 अनुच्छेद 17–24 : आर्थिक और सामाजिक अधिकार

17. रोज़गार – भेदभाव रहित रोज़गार और श्रम अधिकार।


18. निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी – उन्हें प्रभावित करने वाले निर्णयों में शामिल होना।


19. स्वतंत्र सहमति (Free, Prior and Informed Consent) – किसी भी नीति/योजना से पहले उनकी सहमति आवश्यक।


20. पारंपरिक अर्थव्यवस्था – अपने संसाधनों और पारंपरिक व्यवसाय को जारी रखने का अधिकार।


21. विकास का अधिकार – आर्थिक और सामाजिक कार्यक्रमों में समान अवसर।


22. विशेष सुरक्षा – महिलाएँ और बच्चे विशेष सुरक्षा और अधिकार पाएँ।


23. स्व-प्रबंधित विकास – अपने स्वास्थ्य, आवास और विकास कार्यक्रम चलाने का अधिकार।


24. स्वास्थ्य का अधिकार – पारंपरिक औषधि और आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच।



🔹 अनुच्छेद 25–32 : भूमि, संसाधन और पर्यावरण

25. भूमि से आध्यात्मिक संबंध – अपनी भूमि और जल से संबंध बनाए रखने का अधिकार।


26. भूमि और संसाधन अधिकार – अपनी पारंपरिक भूमि और संसाधनों पर अधिकार।


27. न्यायिक सुरक्षा – भूमि विवादों में निष्पक्ष निपटान।


28. भूमि वापसी या मुआवज़ा – छीनी गई भूमि/संपत्ति के लिए वापसी या उचित मुआवज़ा।


29. पर्यावरण सुरक्षा – भूमि और संसाधनों को सुरक्षित रखने का अधिकार।


30. सैन्य गतिविधियों पर रोक – स्वदेशी भूमि पर बिना सहमति सेना नहीं रखी जा सकती।


31. बौद्धिक संपदा अधिकार – उनकी पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा।


32. विकास परियोजनाएँ – भूमि/संसाधनों से जुड़ी परियोजनाओं पर उनकी सहमति अनिवार्य।


🔹 अनुच्छेद 33–37 : आत्म-शासन और कानूनी अधिकार

33. पहचान तय करने का अधिकार – वे अपनी पहचान और सदस्यता स्वयं तय करें।


34. न्याय प्रणाली – अपनी पारंपरिक न्याय प्रणाली चलाने का अधिकार।


35. नागरिकता और पहचान पत्र – राष्ट्रीय कानूनों के तहत अधिकार।


36. सीमा पार संबंध – अलग-अलग देशों में बँटे स्वदेशी लोग आपसी संबंध बनाए रख सकते हैं।


37. संधियों की मान्यता – पहले किए गए समझौतों और संधियों का सम्मान।


🔹 अनुच्छेद 38–46 : कार्यान्वयन और सामान्य प्रावधान

38. राज्यों की जिम्मेदारी – सरकारें इन अधिकारों को लागू करें।


39. सहायता – स्वदेशी लोग UN और राज्यों से मदद मांग सकते हैं।


40. न्याय – अधिकारों के उल्लंघन पर न्याय पाने का अधिकार।


41. UN की भूमिका – UN संस्थाएं स्वदेशी लोगों के विकास में सहयोग करेंगी।


42. घोषणा का सम्मान – सभी देश इस घोषणा को बढ़ावा दें।


43. घोषणा का दायरा – यह न्यूनतम मानक तय करती है।


44. पुरुष और महिलाएँ समान – अधिकारों में समानता।


45. किसी देश की एकता पर असर नहीं – यह घोषणा किसी देश की संप्रभुता को तोड़ती नहीं।


46. सीमाएँ और शर्तें – सभी अधिकार अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के अनुरूप प्रयोग होंगे।


भारत के लिए UNDRIP का महत्व

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 13 सितंबर 2007 को स्वदेशी लोगों के अधिकारों पर घोषणा-पत्र (UNDRIP) पारित किया। यह दस्तावेज़ विश्वभर के आदिवासी एवं स्वदेशी समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा हेतु एक ऐतिहासिक पहल है। इसमें 46 अनुच्छेदों के माध्यम से स्वदेशी समुदायों को स्व-निर्णय, भूमि एवं प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार, सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा, शिक्षा और विकास में भागीदारी जैसे मूलभूत अधिकारों की मान्यता दी गई है।


भारत की स्थिति

भारत में लगभग 10 करोड़ से अधिक आदिवासी रहते हैं, जो देश की कुल जनसंख्या का करीब 8.6% हिस्सा हैं। इन्हें संविधान की अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) श्रेणी में रखा गया है। भारत ने UNDRIP के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन इसकी कई धाराओं को लेकर भारत ने अपनी संवैधानिक व कानूनी सीमाओं की ओर भी इशारा किया।


भारत के संविधान और UNDRIP

  • भारतीय संविधान में पहले से ही कई प्रावधान हैं जो UNDRIP की भावना से मेल खाते हैं—


  • अनुच्छेद 244 के तहत पाँचवीं और छठी अनुसूचियां आदिवासी क्षेत्रों को विशेष संरक्षण देती हैं।


  • अनुच्छेद 46 राज्य को अनुसूचित जनजातियों की शिक्षा और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने का निर्देश देता है।


  • PESA अधिनियम (1996) और भू-संपत्ति से जुड़े कानून (जैसे CNT और SPT कानून) आदिवासियों की भूमि पर विशेष सुरक्षा प्रदान करते हैं।


  • Forest Rights Act (2006) आदिवासी समुदायों को वन भूमि और संसाधनों पर अधिकार देता है।


चुनौतियाँ

हालाँकि UNDRIP ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदिवासियों के अधिकारों को मज़बूत आधार दिया है, भारत में इन अधिकारों को लागू करने में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं—


>विस्थापन और खनन परियोजनाएँ आदिवासी समुदायों की भूमि और आजीविका छीन लेती हैं।


>सांस्कृतिक क्षरण और भाषा संकट स्वदेशी पहचान के लिए खतरा हैं।


>स्थानीय शासन में आदिवासियों की सीमित भागीदारी भी एक बड़ी समस्या है।


भारत के लिए UNDRIP का महत्व

UNDRIP भारत को यह याद दिलाता है कि केवल कानूनी संरक्षण ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि आदिवासी समुदायों को निर्णय प्रक्रिया में समान भागीदारी, भूमि व संसाधनों पर वास्तविक अधिकार, और पारंपरिक ज्ञान व संस्कृति की सुरक्षा भी दी जानी चाहिए। यह घोषणा भारत के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मानक की तरह है, जिसके आधार पर वह अपनी नीतियों और कानूनों को और मज़बूत कर सकता है।


UNDRIP भारत के लिए केवल एक अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज़ नहीं, बल्कि आदिवासी सशक्तिकरण और न्यायपूर्ण विकास का मार्गदर्शक है। संविधान और विभिन्न कानूनों में पहले से मौजूद अधिकारों को व्यावहारिक रूप से लागू करना ही इसकी सच्ची आत्मा है। यदि भारत UNDRIP की भावना को अपने नीति-निर्माण और क्रियान्वयन में गहराई से अपनाता है, तो यह न केवल आदिवासियों के लिए बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।


जोहार 🙏


UNDRIP द्वारा जारी घोषणा पत्र


अधिक जानकारी/संपर्क करने के लिए अपना विवरण दें।



ऐसे ही

ℹ️ सूचनाएं ,📡 न्यूज़ अपडेट्स,🤭 मीम्स, 💼 करियर के मौके, 🇮🇳 देश-दुनिया 🌍 की खबरें, 🏹 आदिवासी मुद्दों और जागरूकता की जानकारी,♥️ जीवन की समस्याओं के समाधान,📱 टेक्नोलॉजी और नई तकनीकों की जानकारीयों की Regular Updates 📰 पाने के लिए हमारे 👇 WhatsApp चैनल 📺 को

🤳करें।



🌟 इस जानकारी को सभी के साथ साझा 🤳 करें!

📢 अपने सभी दोस्तों को भेजे एवं सभी ग्रुप में पोस्ट कर अधिक से अधिक लोगों तक ये जानकारी पहुंचाएं।💪 हमारे प्रयासों को मजबूत बनाने और जागरूकता बढ़ाने में मदद करें। 🌍 आपकी भागीदारी समाज और मानवता के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।


आपके सपनों को साकार करने और आपके अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर।


For More Updates

Like ♥️ l Comment 💬 l Share 🤳

Keep Supporting @ 🌐 SSMahali.com 💕

 
 
 

टिप्पणियां


Contact

© 2025 SSMahali.com
© ssmahali.com

Musabani, Jamshedpur

Jharkhand, INDIA - 832104

​​

  • Facebook
  • X
  • Instagram
  • Youtube
bottom of page