आदिवासी उद्यमिता बोर्ड – एक क्रांतिकारी कदम बनेगा।
आदिवासी समुदायों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार लाने के लिए झारखंड जैसे राज्यों में आदिवासी उद्यमिता बोर्ड का गठन आवश्यक हो गया है। यह न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बनेगा, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न करेगा।
1️⃣ आदिवासी उद्यमिता बोर्ड: क्यों है इसकी जरूरत?
🌟 रोजगार का सृजन: झारखंड में 30-40 लाख बेरोजगार युवाओं को इसका सीधा लाभ मिलेगा।
🌟 आत्मनिर्भरता का विकास: स्वरोजगार को बढ़ावा देने और उद्यमिता की संस्कृति को मजबूत करने में यह बोर्ड सहायक होगा।
🌟 स्थानीय संसाधनों का उपयोग: आदिवासी क्षेत्रों में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का प्रभावी उपयोग करते हुए रोजगार सृजन किया जा सकेगा।
2️⃣ ट्राइबल इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की भूमिका
🏢 उद्यमिता कार्यक्रम 2.0:
आदिवासी युवाओं को विनिर्माण क्षेत्र में प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान करना।
वित्तीय प्रबंधन और टिक्की प्रबंधन के माध्यम से उद्यमियों को सशक्त बनाना।
🎯 लक्ष्य: 700 उद्यमी, जो वर्तमान में सेवा क्षेत्र से जुड़े हैं, 70,000 नए रोजगार उत्पन्न करेंगे।
3️⃣ ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्यमिता पर ध्यान
🌾 गांवों में सूक्ष्म उद्योग: ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्यम स्थापित किए जाएंगे।
💡 सिडबी स्वावलंबन योजना का सहयोग: वित्तीय सहायता और प्रबंधन में विशेषज्ञता प्रदान की जाएगी।
🛠️ मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस: केवल सेवा क्षेत्र तक सीमित न रहकर विनिर्माण क्षेत्र में उद्यमियों को लाना मुख्य उद्देश्य है।
4️⃣ आदिवासी उद्यमिता बोर्ड से संभावित लाभ
👨🎓 युवाओं के लिए अवसर:
बेरोजगारी की समस्या का समाधान होगा।
स्वरोजगार के जरिए आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को मजबूती मिलेगी।
🔗 स्थानीय अर्थव्यवस्था का सशक्तिकरण:
बड़े उद्योगों के लिए वेंडर विकास।
स्थानीय स्तर पर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की मांग में वृद्धि।
5️⃣ ट्राइबल चेंबर की मांग और सरकार की भूमिका
🛡️ आदिवासी उद्यमिता बोर्ड की मांग:
पिछले 4 वर्षों से राज्य सरकार से इस बोर्ड के गठन की मांग की जा रही है।
उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में जल्द ही ठोस कदम उठाएगी।
🔄 नीतिगत समर्थन:
प्रशिक्षण, वित्त और प्रबंधन सहायता के लिए नीतिगत ढांचे की आवश्यकता।
6️⃣ जमशेदपुर में आयोजित कार्यक्रम
📅 आयोजन का विवरण:
8 दिसंबर को सोनारी ट्राइबल कल्चर सेंटर में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
यह कार्यक्रम पूरी तरह निःशुल्क है और आदिवासी युवाओं को प्रेरित करेगा।
🏭 टाटा कंपनियों का सहयोग:
जमशेदपुर के आसपास की टाटा कंपनियों में पहले ही 200 आदिवासी युवा वेंडर के रूप में कार्यरत हैं।
पहल: आदिवासी उद्यमिता बोर्ड के गठन से न केवल झारखंड के युवाओं को स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे, बल्कि राज्य के आर्थिक विकास को भी नई दिशा मिलेगी। ऐसे प्रयास न केवल आदिवासी समुदायों को सशक्त करेंगे, बल्कि समावेशी विकास के लक्ष्य को भी पूरा करेंगे। सरकार और संस्थानों को मिलकर इस दिशा में तेजी से कार्य करना चाहिए। - #ssmahali
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