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RTI दिवस के दिन RTI के महत्व पर संगोष्ठी

  • लेखक की तस्वीर: S S Mahali
    S S Mahali
  • 4 घंटे पहले
  • 6 मिनट पठन

📝 सूचना का अधिकार (RTI) का महत्व — लोकतंत्र की मजबूत नींव। (Right to Information & Transparency is the Foundation of Democracy).

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🌟 भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है, जहाँ जनता सर्वोच्च मानी जाती है। लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब जनता को शासन की नीतियों, निर्णयों, और खर्चों की पूरी जानकारी हो। यदि सूचना जनता तक नहीं पहुँचती, तो लोकतंत्र केवल नाममात्र का रह जाता है। इसी पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act, 2005) लागू किया गया।

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यह कानून जनता को यह शक्ति देता है कि वह सरकार से सवाल पूछ सके, जवाब मांग सके, और यदि जवाब न मिले तो न्याय की माँग कर सके। यह केवल एक “अधिनियम” नहीं, बल्कि आम नागरिक को सशक्त बनाने का एक क्रांतिकारी औज़ार है — जो भ्रष्टाचार, मनमानी, और गैर-जवाबदेही के विरुद्ध एक सशक्त हथियार बन चुका है।

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📜 RTI का इतिहास और उत्पत्ति

भारत में RTI की जड़ें स्वतंत्रता संग्राम के समय से जुड़ी हैं।

महात्मा गांधी ने कहा था —

> “एक जिम्मेदार सरकार वही होती है जो अपने नागरिकों को उनके कामकाज की जानकारी देने में पारदर्शी हो।”


RTI का विचार सबसे पहले स्वीडन (1766) में लागू हुआ। बाद में अमेरिका, फिनलैंड और अन्य देशों ने इसे अपनाया।

भारत में इस कानून का औपचारिक स्वरूप 15 जून 2005 को संसद में पारित हुआ और 12 अक्टूबर 2005 को यह पूरे देश में लागू हुआ।


पहली RTI आवेदन — 12 अक्टूबर 2005 को महाराष्ट्र के पुणे में आज़ाद भारणी नामक नागरिक ने पुलिस विभाग से सूचना मांगकर लगाई थी। इसीलिए 12 अक्टूबर को RTI दिवस (RTI Day) के रूप में मनाया जाता है।


इस कानून ने नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(a) — “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार” — के अंतर्गत सूचना प्राप्त करने का संवैधानिक अधिकार प्रदान किया।


⚖️ RTI का संवैधानिक और कानूनी आधार

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) नागरिकों को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” देता है।

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सुप्रीम कोर्ट ने अनेक मामलों में कहा है कि —

> “सूचना का अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अभिन्न हिस्सा है। बिना जानकारी के कोई भी व्यक्ति अपने विचारों को सही रूप में व्यक्त नहीं कर सकता।”


साल 1976 में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि “सरकार के कार्यों को जानना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है।”


इस प्रकार RTI कानून ने जनता को यह अधिकार दिया कि वे सरकार से किसी भी विषय पर —

नीतियाँ, योजनाएँ, खर्च, नियुक्तियाँ, परियोजनाएँ आदि — पर जानकारी मांग सकते हैं।


🏛️ RTI कानून का स्वरूप

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत –

1. हर सरकारी विभाग को जन सूचना अधिकारी (Public Information Officer - PIO) नियुक्त करना आवश्यक है।

2. कोई भी नागरिक ₹10 शुल्क देकर / BPL धारी निःशुल्क लिखित या ऑनलाइन आवेदन कर सकता है।

3. अधिकारी को 30 दिनों के अंदर उत्तर देना अनिवार्य है।

4. यदि सूचना देने में देरी या असत्यापन हो, तो अधिकारी पर ₹250 प्रति दिन की जुर्माना राशि (अधिकतम ₹25,000 तक) लगाई जा सकती है।

5. यदि उत्तर असंतोषजनक हो, तो नागरिक प्रथम अपील (First Appeal) और द्वितीय अपील (State/Central Information Commission) में जा सकता है।


🕊️ RTI और लोकतंत्र

लोकतंत्र केवल मतदान तक सीमित नहीं है। असली लोकतंत्र वह है जिसमें जनता शासन की गतिविधियों पर निगरानी रख सके। RTI ने नागरिकों को यह ताकत दी है।


इस कानून के कारण:

  • सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ी है,

  • भ्रष्टाचार के कई मामलों का पर्दाफाश हुआ,

  • गरीब और ग्रामीण इलाकों के लोगों को अपने हक की जानकारी मिली,

  • प्रशासनिक जवाबदेही बढ़ी है,

  • समाज में "हमारा पैसा, हमारा हिसाब" की भावना मजबूत हुई है।


🌍 RTI — पारदर्शिता और मानवाधिकारों का संबंध

  • सूचना का अधिकार और मानवाधिकार, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

  • जब तक व्यक्ति को अपने अधिकारों की जानकारी नहीं होगी, वह उनके संरक्षण के लिए संघर्ष नहीं कर सकेगा। इस दृष्टि से RTI एक “मानवाधिकार” की तरह है।


संयुक्त राष्ट्र ने 1966 में कहा था —

> “हर व्यक्ति को यह जानने का अधिकार है कि शासन उसके हित में क्या निर्णय ले रहा है।”


RTI के माध्यम से नागरिक न केवल जानकारी प्राप्त करते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो।


🧾 RTI की उपलब्धियाँ

भारत में RTI कानून लागू होने के बाद अनेक महत्वपूर्ण खुलासे हुए —


1. मनरेगा घोटाले में अनियमितताओं का खुलासा।

2. पेंशन और राशन वितरण में पारदर्शिता बढ़ी।

3. शिक्षा, स्वास्थ्य और पंचायत योजनाओं की निगरानी में नागरिकों की भागीदारी बढ़ी।

4. विभिन्न मंत्रालयों के फंड और खर्चों की जानकारी सार्वजनिक हुई।


यह कानून हर आम नागरिक को यह सशक्तिकरण देता है कि वह अपनी सरकार से पूछ सके।

> “मेरे नाम से लिए गए फैसलों में मेरा अधिकार कहाँ है?”


🏫 RTI और शिक्षा जगत में पारदर्शिता

विद्यालयों, कॉलेजों, और विश्वविद्यालयों में भी RTI ने बड़ा परिवर्तन लाया है। अब छात्र-छात्राएँ परीक्षा परिणाम, नियुक्तियों, अनुदानों, और संस्थागत निर्णयों की जानकारी मांग सकते हैं।


RTI दिवस 2025 के अवसर पर Netaji Subhash Chandra University, Jamshedpur के कुलपति डॉ. प्रभात कुमार पांडे, SP कॉलेज चंदेल के प्राचार्यगण, और SS हाई स्कूल की प्राचार्या शोभा जी जैसे शिक्षा क्षेत्र के दिग्गजों की उपस्थिति इस बात का प्रतीक है कि शिक्षा में पारदर्शिता लोकतंत्र की आत्मा है। 🎓


💬 संगोष्ठी 2025 — विचार, उद्देश्य और संकल्प

राष्ट्रीय संगोष्ठी 2025, जिसका आयोजन RTI कार्यकर्ता संघ (केंद्रीय समिति, झारखंड) तथा Jharkhand Human Rights Association, Jamshedpur द्वारा किया गया,

का उद्देश्य यही है कि सूचना के अधिकार की भावना को जमीनी स्तर तक पहुँचाया जाए।


इस संगोष्ठी में देशभर से आए कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया —


  • श्री दिल बहादुर, RTI कार्यकर्ता संघ के अध्यक्ष

  • श्री किर्तिबास मंडल, महासचिव

  • श्री सदन कुमार ठाकुर, उपाध्यक्ष

  • श्री दिनेश कुमार किनू, अध्यक्ष, मानवाधिकार संघ

  • विशिष्ट अतिथि श्री हंवा सिंह तंवर, जनरल सेक्रेटरी, अखिल भारतीय मानवाधिकार संगठन

  • डॉ. चंद्रशेखर (State President, RTI Association, Delhi)

  • श्री मनोज सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, झारखंड

  • सुश्री आर.के. शर्मा, अधिवक्ता (कोलकाता हाई कोर्ट)

  • श्री मुस्ताक अहमद, RTI कार्यकर्ता

  • श्री खेती कुमार, RTI कार्यकर्ता, धनबाद


💡 RTI का असली उद्देश्य

सूचना का अधिकार केवल “सूचना प्राप्त करने” का अधिकार नहीं है, बल्कि यह शासन को पारदर्शी, जवाबदेह और संवेदनशील बनाने की प्रक्रिया है।

इसका उद्देश्य है —

  • जनता को सशक्त बनाना

  • भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना

  • योजनाओं के सही क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना

  • नीति निर्माण में आम नागरिक की भागीदारी सुनिश्चित करना

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जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है —

> “जो सूचना छिपाता है, वही अपवाद है; पारदर्शिता ही नियम है।”

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🔍 RTI और ग्राम स्तर पर सशक्तिकरण

RTI की असली ताकत तब दिखती है जब इसका उपयोग ग्रामीण नागरिक करते हैं। आज गाँवों में बहुत से युवा RTI के माध्यम से —

  • पंचायत की योजनाओं की जाँच कर रहे हैं,

  • प्रधान और सचिव के कार्यों पर निगरानी रख रहे हैं,

  • फर्जी लाभार्थियों का पर्दाफाश कर रहे हैं,

  • और जनता के धन का सही उपयोग सुनिश्चित कर रहे हैं।


RTI ने गाँवों को यह आत्मविश्वास दिया है कि वे अपने अधिकार खुद हासिल कर सकते हैं। 🌾

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📚 RTI और तकनीकी पारदर्शिता

डिजिटल युग में RTI का दायरा और बढ़ गया है।

अब ऑनलाइन पोर्टल्स जैसे से नागरिक घर बैठे आवेदन कर सकते हैं।


इससे समय, श्रम और धन तीनों की बचत होती है।

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🌈 RTI से जुड़े चुनौतियाँ

हालाँकि RTI ने जनता को शक्ति दी है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं —


1. कई राज्यों में सूचना आयोगों की रिक्तियाँ हैं।

2. सूचना देने में देरी एक सामान्य समस्या है।

3. कई RTI कार्यकर्ताओं पर धमकी और हिंसा के मामले भी सामने आते हैं।

4. ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी जानकारी की कमी है।


इन समस्याओं को दूर करने के लिए समाज, सरकार और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा।

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🔔 RTI का भविष्य

भविष्य में RTI को और मजबूत करने के लिए निम्न कदम आवश्यक हैं —

  • सूचना आयोगों में समय पर नियुक्तियाँ,

  • कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए कानून,

  • RTI शिक्षा को स्कूलों और कॉलेजों में शामिल करना,


प्रत्येक सरकारी विभाग में “सूचना पारदर्शिता पोर्टल” बनाना।


🕯️ सूचना का अधिकार केवल कानून नहीं — यह लोकतंत्र का प्राण है। यह नागरिक को सशक्त बनाता है, भ्रष्टाचार को चुनौती देता है, और शासन को जवाबदेह बनाता है।


जैसा कि RTI कार्यकर्ता संघ और मानवाधिकार संघ की संगोष्ठी में कहा गया —


> “अंधेरों में दबी सच्चाई को बाहर लाना ही RTI का असली उद्देश्य है।”


आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें —

कि हम RTI के माध्यम से अपने समाज, अपने राज्य और अपने देश को पारदर्शिता, ईमानदारी और जवाबदेही के रास्ते पर आगे बढ़ाएँगे।


हमारा नारा:

> “पानी दो, रोटी दो, सूचना दो नहीं तो गद्दी छोड़ दो”,

>“हमारा पैसा, हमारा हिसाब!”

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जोहार!

जय लोकतंत्र, जय सूचना अधिकार, जय मानवाधिकार।


✍️ S S Mahali

सामाजिक जन-जागरूकता एवं RTI कार्यकर्ता संघ, झारखंड मानवाधिकार संगठन, जमशेदपुर।

(राष्ट्रीय संगोष्ठी, RTI दिवस — 12 अक्टूबर 2025)


RTI के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीच दिए गए लिंक पर क्लिक करें।



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