
MSME संवाद
- S S Mahali

- 6 नव॰
- 4 मिनट पठन
एमएसएमई संवाद: भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता का सशक्तिकरण

आयोजक: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of Micro, Small & Medium Enterprises)
सह-आयोजक: कार्यालय – विकास आयुक्त, एमएसएमई (Office of Development Commissioner, MSME)
कार्यक्रम का नाम: एमएसएमई संवाद – Cost & Competitiveness of MSMEs in India
तिथि: 6 नवम्बर 2025
स्थान: ऑडिटोरियम, आदित्यपुर ऑटो क्लस्टर, जमशेदपुर (झारखण्ड)
थीम: अग्रणी उद्यमी – विकसित भारत 🇮🇳

🌟 भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। ये न केवल रोजगार सृजन का सबसे बड़ा माध्यम हैं, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आर्थिक विकास के प्रमुख स्तंभ हैं। “एमएसएमई संवाद – Cost & Competitiveness of MSMEs in India” का आयोजन इस उद्देश्य से किया गया कि देश के उद्यमी प्रतिस्पर्धात्मक वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करें और उत्पादन लागत को घटाकर गुणवत्ता और दक्षता में वृद्धि करें।
इस कार्यशाला का आयोजन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के विकास आयुक्त कार्यालय द्वारा आदित्यपुर ऑटो क्लस्टर, जमशेदपुर में किया गया। यह आयोजन उद्योग, अकादमिक क्षेत्र, वित्तीय संस्थानों और सरकारी विभागों के बीच एक सशक्त संवाद मंच साबित हुआ।
🏭 इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य एमएसएमई क्षेत्र की लागत प्रबंधन (Cost Management) और प्रतिस्पर्धात्मकता (Competitiveness) को समझना और बढ़ावा देना था। वैश्वीकरण के इस युग में, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा अत्यधिक बढ़ चुकी है, ऐसे में भारतीय एमएसएमई को तकनीकी उन्नयन, नवाचार और वित्तीय सुदृढ़ता की दिशा में अग्रसर होना आवश्यक है।

मुख्य उद्देश्यों में शामिल थे:
1. 💡 एमएसएमई की उत्पादन लागत घटाने के उपायों पर चर्चा।
2. 🧩 प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल करने के लिए आधुनिक तकनीक और डिजिटलीकरण के उपयोग को बढ़ावा देना।
3. 📊 सरकार की योजनाओं, सब्सिडी और वित्तीय सहायता की जानकारी साझा करना।
4. 🤝 क्लस्टर-स्तरीय सहयोग (Cluster-based Collaboration) को मजबूत करना।
5. 🌱 सतत विकास (Sustainable Growth) और हरित उत्पादन (Green Manufacturing) के सिद्धांतों पर बल देना।

🧭 कार्यक्रम की रूपरेखा
कार्यशाला का उद्घाटन आदित्यपुर ऑटो क्लस्टर के सभागार में दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, डीसी-एमएसएमई के प्रतिनिधि, टाटा स्टील फाउंडेशन, नाबार्ड, सिडबी, एमएसएमई-डीआई जमशेदपुर, और स्थानीय उद्योग संघों के प्रमुख उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन उत्कृष्ट ढंग से किया गया, जिसमें स्वागत भाषण के पश्चात विषयगत सत्र आयोजित किए गए। प्रमुख विषय निम्नलिखित रहे:
1️⃣ Understanding Cost Factors in MSMEs
उद्यमों की लागत संरचना, ऊर्जा उपयोग, आपूर्ति श्रृंखला (supply chain), और मानव संसाधन प्रबंधन पर विशेषज्ञों ने विस्तृत प्रस्तुति दी।
2️⃣ Competitiveness through Technology and Innovation
उद्यमियों को बताया गया कि कैसे इंडस्ट्री 4.0, ऑटोमेशन, और डिजिटल टूल्स के माध्यम से वे अपने उत्पादन को अधिक कुशल बना सकते हैं।
3️⃣ Government Schemes and Support for MSMEs
सरकार की योजनाएं जैसे –
ZED Certification Scheme
Lean Manufacturing Programme
Design and Incubation Support
Digital MSME Initiative
पर विस्तृत जानकारी दी गई।
4️⃣ Cluster Development Approach
क्लस्टर आधारित विकास मॉडल के माध्यम से साझा अवसंरचना, सामूहिक ब्रांडिंग और निर्यात संवर्धन के अवसरों पर चर्चा हुई।
🔧 मुख्य बिंदु और चर्चाएँ
1. 🌐 वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने की रणनीति – उद्यमियों को बताया गया कि गुणवत्ता, मूल्य निर्धारण और समय पर डिलीवरी ही सफलता की कुंजी है।
2. ⚙️ टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन की आवश्यकता – पुराने उपकरणों को आधुनिक मशीनरी में बदलने से लागत घटती है और उत्पादकता बढ़ती है।
3. 🧾 वित्तीय प्रबंधन – सिडबी और बैंकों ने बताया कि कैसे सूक्ष्म उद्यमी बिना भारी गारंटी के भी सरकारी योजनाओं के तहत ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
4. ♻️ सस्टेनेबिलिटी और हरित उत्पादन – ऊर्जा की बचत, वेस्ट मैनेजमेंट और पर्यावरण-सुरक्षित उत्पादन पर बल दिया गया।
5. 📈 स्किल डेवलपमेंट और प्रशिक्षण – उद्यमियों और उनके कर्मचारियों के लिए स्किल अपग्रेडेशन कार्यक्रमों की जानकारी साझा की गई।
🤝 भागीदारी और अनुभव साझा करना
कार्यक्रम में झारखण्ड और आसपास के जिलों से लगभग 200 से अधिक सूक्ष्म और लघु उद्यमियों ने भाग लिया।
उद्यमियों ने अपने अनुभव साझा किए कि कैसे सरकारी योजनाओं और क्लस्टर सहयोग से उनकी लागत में कमी आई और उत्पादन क्षमता बढ़ी।
कई स्थानीय इकाइयों, जैसे ऑटो कंपोनेंट निर्माता, हैंडिक्राफ्ट्स उद्योग, और इंजीनियरिंग वर्क्स यूनिट्स ने भी अपने सफल अनुभव साझा किए।
🪶 “अग्रणी उद्यमी – विकसित भारत” की भावना
इस कार्यशाला का नारा “अग्रणी उद्यमी – विकसित भारत” केवल एक वाक्य नहीं बल्कि एक संकल्प है।
यह भारत के उन लाखों उद्यमियों के प्रति सम्मान का प्रतीक है जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखते हैं और “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में अग्रसर हैं।
सरकार का उद्देश्य है कि भारत के प्रत्येक छोटे उद्योग को तकनीकी रूप से सशक्त बनाया जाए ताकि वह देश की जीडीपी और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान दे सके।
📜 समापन सत्र
समापन सत्र में विकास आयुक्त (MSME) के प्रतिनिधियों ने कहा –
>“एमएसएमई भारत की आत्मा हैं। जब यह क्षेत्र मजबूत होगा, तभी भारत विश्व में अग्रणी बनेगा।”
कार्यक्रम के अंत में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले उद्यमियों को सम्मानित किया गया और प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ, जिसमें सभी ने यह संकल्प लिया कि आने वाले समय में झारखण्ड को एमएसएमई नवाचार और प्रतिस्पर्धा का हब बनाया जाएगा।
“एमएसएमई संवाद” जैसे कार्यक्रम न केवल जानकारी का मंच हैं, बल्कि प्रेरणा का भी स्रोत हैं।
यह कार्यशाला इस बात का उदाहरण है कि यदि सरकार, उद्योग और समाज मिलकर कार्य करें तो भारत का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र विश्वस्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर सकता है।
एमएसएमई ही भारत के विकसित भविष्य की आधारशिला हैं।
अग्रणी उद्यमी – विकसित भारत 🇮🇳
ऐसे ही
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