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AIMA / AIMAA द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम का सच

महली समाज के हित में एक तथ्यात्मक स्पष्टीकरण

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AIMA क्या है ❓

AIMA एक संघ (संगठन, संस्था) या NGO कहा जा सकता हैं।


AIMA (All India Mahali Association) के नाम पर समाज में कई तरह की भ्रामक जानकारियाँ फैलाई जा रही हैं। यह दावा किया जा रहा है कि इस संगठन का पंजीकरण Reg. No. 591/2008-09, Under The Societies Registration Act, 21 of 1860 के तहत हुआ है, और यह आज भी सक्रिय है।


लेकिन सच्चाई कुछ और ही है —

🔍 1. AIMA का वास्तविक इतिहास और उसकी वर्तमान स्थिति:

AIMA वास्तव में 2008-09 में पंजीकृत हुआ था। लेकिन समय के साथ इस संगठन के सदस्यों की निष्क्रियता (inactivity) के कारण इसका पंजीकरण निष्क्रिय (Inactive) हो गया। इसका अर्थ यह है कि आज की तारीख में AIMA का कानूनी अस्तित्व समाप्त हो चुका है।


फिर भी, 2025 में इस निष्क्रिय पंजीकरण नंबर को प्रचारित कर समाज में गलत जानकारी फैलाने की कोशिश की जा रही है।

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AIMA एक समय registered संस्था थी, परंतु अब यह अवैध (invalid) हो चुकी है।


2. AIMA से AIMAA में नाम परिवर्तन (Name Change):

25 दिसंबर 2022 (रविवार) को TCC, सोनारी में आयोजित बैठक में AIMA (All India Mahali Association – अखिल भारतीय महली समाज) का नाम बदलकर AIMAA (All India Mahali Adivasi Association – अखिल भारतीय महली आदिवासी समाज) कर दिया गया था।


इसलिए यह स्पष्ट है कि AIMA से AIMAA नाम में परिवर्तन 2022 में ही किया गया था।


परंतु हाल ही में इश्वर हेंब्रम नामक व्यक्ति द्वारा एक WhatsApp संदेश Social Media और समाज में प्रसारित किया गया जिसमें कहा गया कि

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>ईश्वर हेंब्रम का दावा ”AIMA से AIMAA नाम का परिवर्तन 20 जुलाई 2025 में किया गया है।”🤷 जो कि निराधार हैं।


यह दावा पूर्णतः ❌ असत्य, भ्रामक और तथ्यहीन है।


हमारे पास इस बात के साक्ष्य (evidence) मौजूद हैं, जो रेकॉर्ड पंजी में भी स्पष्ट दर्ज हैं नाम परिवर्तन 2022 में ही हुआ था।

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AIMA के by - Laws (नियमावली) आर्टिकल 24 के तहत नाम परिवर्तित करने का प्रस्ताव रखा गया।

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All India Mahli Association

To

All India Mahli adivasi Association


ईश्वर हेंब्रम द्वारा ग़लत जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रचारित कर समाज के लोगों को गुमराह कर आर्थिक लाभ अर्जित करने की मंशा से किया जा रहा हैं।


📜 3. AIMA का अस्तित्व 1981 से नहीं, बल्कि 2008-09 से:

कुछ लोग यह दावा करते हैं कि AIMA की स्थापना 11 नवम्बर 1981 को हुई थी — यह भी झूठा दावा है।


AIMA का वास्तविक अस्तित्व 2008-09 में पंजीकरण के बाद ही प्रारंभ हुआ था। संभव है कि 1-2 वर्ष पहले (2006-07 के आसपास) इस नाम पर विचार किया गया हो, परंतु आधिकारिक अस्तित्व 2008-09 से ही शुरू हुआ।

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आज की तिथि में AIMA या AIMAA — दोनों ही का कोई वैध कानूनी अस्तित्व नहीं है। न तो इनके नाम पर कोई सक्रिय पंजीकरण प्रमाणपत्र, न PAN Card, न बैंक खाता और न ही कोई वैध दस्तावेज़ मौजूद है।


इसके बावजूद तथाकथित AIMAA अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा द्वारा अपने पत्रों, आमंत्रण कार्डों और बयानों में झूठा पंजीकरण नंबर “Regd. No. 591/2008-09” प्रयोग किया जा रहा है — जो कि पूरी तरह से अवैध (invalid) है।


🏛️ 4. पारंपरिक महली स्वशासन की सच्ची व्यवस्था:

सदियों से चली आ रहे हमारे महली समाज का सशक्त इतिहास उसकी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था नौ महल महली माहाल — माझी, परगना, गोडेत, पाराणिक और नायके आदि से जुड़ा रहा है।

वर्ष 1981 में ओडिशा के जोजोडीह में हुई नौ महल महली माहाल की बैठक इसी पारंपरिक व्यवस्था से प्रेरित थी जो दो जातीय समुदायों के विवाद के बाद आयोजित की गई थी। इस के बाद भी नौ महल महली माहाल के द्वारा कई आयोजन और बैठके विभिन्न क्षेत्रों और वर्षों में किया जाता रहा हैं।

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वर्ष 26 जून 1993 को नौ महल महली माहाल द्वारा आयोजित ऑल इंडिया माहली अधिवेशन में नौ महल महली माहाल — माझी, परगना, गोडेत, पाराणिक और नायके आदि से जुड़ा रहा सर्वसम्मति से पारंपरिक पदाधिकारीगणों को महली समाज को सुचारू रूप से संचालित एवं और व्यवस्थित तरीके से संचालित करने हेतु जिम्मेदारी सौंपी।


परंतु यह सब AIMA या AIMAA से संबंधित नहीं था।

क्योंकि इस समय AIMA नाम का कोई वजूद ही 🚫 नहीं था। 🤷


AIMA / AIMAA की गतिविधि:

  • 2008 के पहले AIMA का कोई भी आयोजन या बैठक का कोई प्रमाण नहीं हैं।

  • 2008 में AIMA को पंजीकृत किया गया था।

  • इस के बाद जमशेदपुर के माइकल जॉन बिष्टुपुर स्थित एक बैठक का आयोजन किया गया था।

  • AIMA के by - Laws (नियमावली) में वर्णित और लक्षित उद्देश्यों को आइमा कभी भी प्राप्त नहीं कर पाया हैं।

  • by - Laws नियमावली के अनुसार सभी लोगों की सदस्यता भी चली गई।

  • संगठन के तौर पर अपने ही by - Laws (नियमावली) के अनुसार सदस्य निष्क्रियता के कारण जल्द ही निष्क्रिय हो कर विघटित (Dissolve) समाप्त हो गया।

  • AIMA का अस्तित्व खत्म होने के पश्चात वर्ष 2022, 25 दिसम्बर को इस संगठन के महासचिव सूर्य सिंह बेसरा जी के द्वारा इसके नाम को AIMAA में बदल कर फिर से पुर्नगठन करने का प्रयास किया गया था, पहल सकारत्मक था परन्तु सदस्यों की निष्क्रियता के कारण इस बार भी इसका कोई अस्तित्व बन नहीं पाया।

  • 2025, 20 जुलाई को TCC सोनारी में एक कार्यकारणी बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें औपचारिक रूप से किसी भी कार्यकारणी सदस्यों को नहीं बुलाया गया था और इस बैठक के लिए निर्धारित बिंदुओं पर पर्याप्त चर्चा के बिना ही

    🔴 आनन फानन में AIMAA का पुर्नगठन किया गया जो बिना किसी पूर्व सूचना या निर्धारित चर्चा बिंदु के इस बैठक में ही तथाकथिक प्रेसिडेंट(नयन चंद्र हेंब्रम के त्याग पत्र के बिना ही महासचिव ( सूर्य सिंह बेसरा जी) खुद को ही प्रेसिडेंट नियुक्त कर दिया। साथ ही साथ अपने महासचिव पद से बिना त्याग पत्र दिए ही (मनोरंजन माहली जी) को इस पद पर पदस्थापित कर दिया गया। संगठन के कार्यकारणी सदस्यों के 1/3 बहुमत के बिना ही स्वयं ही संगठन अध्यक्ष बन बैठे जो कि पूर्णतः विधि विरुद्ध हैं। इस बैठक में कई प्रस्ताव और निर्णय लिए गए जो आश्चर्यचकित कर देने वाले थे। (निर्णय संलग्नक हैं)

  • 13 - 14 सितम्बर 2025 को निर्मल गेस्ट हाउस में बैठक आयोजित हुई जिसमें महली समाज के रूढ़ि प्रथा को लिखने के लिए ड्राफ्ट तैयार करने के लिए चर्चा किया गया। इस चर्चा में सूर्य सिंह बेसरा जी के द्वारा अन्य आदिवासी समाज के रूढ़ि प्रथा कानून को हु - ब - हु महली समाज में थोपने का प्रयास किया जा रहा था। जिसमें बैठक में शामिल कई लोगों ने आपत्ति जताई। सूर्य सिंह बेसरा जी के एकल और मनमानी तरीके से निर्णयों के कारण उड़ीसा और असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड जैसे राज्य के बड़ा समूह और प्रतिनिधि इस बैठक से दूरी बनाए रखा और अनुपस्थित रह कर आइमा के बैनर तलें बन रहे (रूढ़ि प्रथा) ड्राफ्ट का विरोध ✊ किया।

    🟡 इस विरोधावास के पाश्चात्य बेसरा जी आभास हुआ कि उनको जनसमर्थन अब नहीं मिलेगा इसलिए 12 अक्टूबर को निर्धारित कार्यक्रम जो झारखंड के जमशेदपुर माइकल जॉन में आयोजित सम्मेलन को परिवर्तित कर पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम में करने का निर्धारण कर दिया। पश्चिम बंगाल के कुछ मुट्ठी भर लोग जो सूर्य सिंह बेसरा जी से प्रभावित हैं ने झाड़ग्राम में सम्मेलन को करने को स्वीकार किया।

  • 5 अक्टुबर 2025 को राँची में एक बैठक का आयोजन किया गया। जो आगामी कार्यक्रमों को देखते हुए आइमा का झारखंड राज्य स्तरीय समिति का गठन करने का प्रयास किया गया था लेकिन बेसरा जी के एकल नेतृत्व और अवैध संगठन AIMAA के कारण रांची के महली समाज और संगठन ने भी इस बैठक का विरोध किया और शामिल नहीं हुए।


📨 5. 12 अक्टूबर 2025 के झारग्राम सम्मेलन की सच्चाई:

AIMAA द्वारा 12 अक्टूबर 2025 को झारग्राम (पश्चिम बंगाल) में आयोजित सम्मेलन के आमंत्रण पत्र में अनेक भ्रामक जानकारियाँ दी गई थीं —

❌ Invalid Name

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❌ पुराना, निष्क्रिय पंजीकरण नंबर (Regd. No. 591/2008-09)


❌ फर्जी संबद्धता (Fake Affiliations)

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❌ झूठा प्रस्ताव — The Mahali Customary Law


❌ महली जाति की उत्पत्ति से संबंधित गलत तथ्य

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इस आमंत्रण पत्र में दावा किया गया था कि

> “12 अक्टूबर 2025 को ‘The Mahali Customary Law’ सर्वसम्मति से पारित किया जाएगा।”


जबकि सच्चाई यह है कि झाड़ग्राम के इस सम्मेलन में

केवल प्रारूप की चर्चा हुई थी, कोई रूढ़ि प्रथा का ड्राफ्ट पारित नहीं हुआ था।


इस सम्मेलन में सालखान मुर्मू के तर्ज पर पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के समांतर सैंगेल माझी - परगना के जैसे

सूर्य माझी परगना (आइमा के तरफ से सर्टिफिकेट देकर बनाया गया।


एक अवैध संगठन AIMAA (NGO) किस प्रकार से माझी - परगना बाबा को नियुक्त कर सकता हैं ❓


जारी प्रमाण पत्र में नयन चंद्र हेंब्रम जी का हस्ताक्षर नहीं हैं

केवल आइमा अध्यक्ष और महासचिव का हस्ताक्षर किया गया है। नयनचंद्र हेंब्रम जी का हस्ताक्षर के बिना ये जारी प्रमाण पत्र कितना जायज़ किया भ्रामक (अमान्य) हैं 🤷🫡


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सूर्य सिंह बेसरा / AIMAA एक संगठन (NGO) द्वारा माझी - परगना नियुक्त करना

  • 0%सटीक(सही) ✅हैं❓

  • 0%भ्रमक(ग़लत) ❌हैं❓


आइमा और सूर्य सिंह बेसरा जी के द्वारा ये काम कितना सटीक कितना भ्रमित करने वाला है❓🤷


NGO द्वारा माझी परगना का चुनाव किया जाता हैं

या

पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था द्वारा आपलोग ही बताएं 🙆


इस सम्मेलन में केवल प्रारूप की चर्चा हुई थी, कोई रूढ़ि प्रथा का ड्राफ्ट पारित नहीं हुआ था। फिर भी सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में सूर्य सिंह बेसरा जी के नेतृत्व संगठन AIMAA ने यह झूठा दावा प्रसारित किया गया कि

>“‘The Mahali Customary Law’ (माहली जाति प्रथा) पारित हो गया।”


यह AIMAA की कथनी और करनी में भारी अंतर को दर्शाता है। ये लोग बोलते कुछ हैं और करते कुछ हैं। समाज में अनगर्ल निर्णय थोपने का काम करते हैं।

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AIMAA द्वारा समाज में अनगर्ल निर्णय थोपने का काम किया जा हैं।

  • 0%सटीक (सही) ✅ हैं❓

  • 0%भ्रामक (ग़लत) ❌ हैं❓



समाज के साथ ज़मीनी स्तर पर तो आज तक कोई बैठते नहीं करते हैं और न सामाजिक बैठक में शामिल होते हैं।


🚫 5. “अंतर्राष्ट्रीय महली आदिवासी दिवस” का झूठा प्रचार:

AIMA और उसके सदस्यों द्वारा 11 नवम्बर को

“अंतर्राष्ट्रीय महली आदिवासी दिवस” घोषित कर मनाने का प्रयास किया जा रहा है। यह न केवल भ्रामक, बल्कि असत्य और आधारहीन भी है।


अंतर्राष्ट्रीय दिवस के विरोध के कारण:

1️⃣ अंतर्राष्ट्रीय दिवस की घोषणा का अधिकार

किसी भी अंतर्राष्ट्रीय दिवस का निर्धारण संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) द्वारा किया जाता है। किसी सदस्य देश द्वारा प्रस्ताव रखे जाने के बाद,

महासभा उस पर मतदान कर उसे आधिकारिक रूप से स्वीकार करती है।


  • कोई भी व्यक्ति, संगठन या राजनीतिक समूह स्वयं से अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित नहीं कर सकता।


2️⃣ 11 नवम्बर और महली समाज का कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं अब तक किसी भी दस्तावेज़, ऐतिहासिक स्रोत या ग्राम सभा के निर्णय में यह नहीं पाया गया कि 11 नवम्बर का दिन महली जाति के इतिहास या संस्कृति से जुड़ा है।


3️⃣ संयुक्त राष्ट्र की कोई मान्यता नहीं

हम यह प्रश्न AIMAA के तथाकथित अध्यक्ष और सचिव से पूछना चाहते हैं कि —

क्या संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) या किसी अन्य अंतर्राष्ट्रीय निकाय से “11 नवम्बर” को Mahali Adivasi Day के रूप में मनाने की कोई स्वीकृति प्राप्त हुई है❓


यदि नहीं, तो यह केवल व्यक्तिगत कल्पना या “सपना” मात्र है।


4️⃣ ग्राम स्तर पर कोई निर्णय नहीं हुआ आज तक किसी भी गाँव, पंचायत या ग्राम सभा में ऐसे किसी दिवस को मान्यता देने हेतु कोई बैठक या प्रस्ताव पारित नहीं हुआ है।

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🌍 7. “अंतर्राष्ट्रीय महली आदिवासी दिवस” की घोषणा — एक मज़ाक़:

इन झूठे प्रचारों के बाद, AIMAA अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा ने स्वयं ही “अंतर्राष्ट्रीय महली आदिवासी दिवस” की घोषणा कर दी।


यानी अब वे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के अधिकार को भी चुनौती दे रहे हैं!


सच तो यह है कि —

> अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित करने का अधिकार केवल UN General Assembly के पास होता है, किसी व्यक्ति या संगठन के पास नहीं।


परंतु सूर्य सिंह बेसरा जी तो मानो UN से भी ऊपर हो गए हैं!


अब तो ऐसा प्रतीत होता है कि यदि कोई देश अपना “अंतर्राष्ट्रीय दिवस” घोषित कराना चाहे, तो वह संयुक्त राष्ट्र के बजाय तथाकथिक AIMAA अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा के पास प्रस्ताव भेजे! 🤷‍♂️ किसी भी इंटरनेशन डे की घोषणा कर देंगे।


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अंतर्रष्ट्रीय दिवस घोषणा करने का अधिकार किसको है ❓ Who Primarily has the Right to declare any International Day❓

  • 0%संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) 🤔

  • 0%सूर्य सिंह बेसरा (Surya Singh Besra) President of AIMA 🤭


🧭 8. समाज के लिए स्पष्ट संदेश

  • महली समाज AIMAA और बेेसरा जी के इन झूठे, अवैध और असंगठित प्रयासों से सावधान रहना चाहिए।

  • 11 नवम्बर 2025 को जब घाटशिला उपचुनाव में मतदान होना है,

  • तो ऐसे भ्रामक आयोजनों में शामिल होना समाज के लिए उचित नहीं,

  • कोई अंतर्राष्ट्रीय माहली दिवस घोषित नहीं हैं,

  • हमें अपने असली मुद्दों — शिक्षा, संस्कृति, रोजगार, महिला सशक्तिकरण और युवाओं के नेतृत्व — पर ध्यान देना चाहिए।

  • AIMA और AIMAA का कानूनी अस्तित्व समाप्त हो चुका है।

  • इन संगठनों के नाम पर फैलाया जा रहा भ्रम न केवल समाज को गुमराह करता है, बल्कि सामाजिक एकता को भी कमजोर करता है।


महली समाज को चाहिए कि वह अपने पारंपरिक शासन, सांस्कृतिक मूल्यों और सच्चे नेतृत्व पर भरोसा रखे, न कि झूठे “अंतर्राष्ट्रीय दिवसों” और अवैध संगठनों पर।


ऐसे लोगों से सावधान रहे जो AIMAA के संगठन के नाम से आयोजित सामूहिक कार्यक्रम करने के लिए संगठन के खाता के बजाय किसी अन्य व्यक्ति के निजी (पर्सनल) खाते में पैसा ले रहे हैं।

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11 नवम्बर के अंतर्राष्ट्रीय माहली आदिवासी दिवसके नाम से ऊपर वर्णित पोस्ट से केवल 22 लोग को ही अपने झांसे में लेकर पैसा की मांग कर निजी खाते में एकत्र किया गया हैं।


क्या बात हैं 🤔 AIMA 2008 में Registered होने के बाद भी अब तक 17 साल हो गए इसके बावजूद भी बैंक खाता नहीं खुला है क्या❓


ऐसा क्यों ❓🤔 पूछा जाना चाहिए।


तथाकथिक AIMAA यदि 1981 से अस्तित्व में है, तो आज तक 44 सालों में क्या - क्या काम किया हैं❓ आइमा ने महली समाज के लिए और इस 44 वर्षों में यदि एक बैंक खाता खोलने में असमर्थ और असक्षम रहा तो इनसे क्या ही आपेक्षित किया जा सकता हैं ❓


आइमा अपना नाम बार बार क्यों बदल बदल कर लिख रहा हैं 🤔❓


  • All India Mahli Association

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  • All India Mahli Adivasi Association

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  • All India Mahli AdiWasi Association

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Reg - 591/008 - 009 🤔 🫡🤷 Act 1 of 1860


माहालि
माहालि

भ्रम कौन फैला रहा हैं 🤷 आइमा/ सूर्य सिंह बेसरा...❓

  • All India Mahali Adivasi Association

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अखिल भारतीय माहली समाज

अखिल भारतीय माहली आदिवासी समाज

अखिल भारतीय महली आदिवासी समाज

अखिल भारतीय माहालि आदिवासी समाज


All India Mahli Association

All India Mahli Adivasi Association

All India Mahli AdiWasi Association

All India Mahali Adivasi Association

तथाकथिक

Reg - 591/2008 - 2009 हैं या

Reg - 591/008 - 009 🤔 🫡🤷...Act 1 of 1860

के भ्रामक LetterPad में महासचिव का हस्ताक्षर कर जारी Notice कितना सटीक और कितना भ्रामक है ...❓


हिंदी में समाज

अंग्रेजी में Association (संघ) या vice Versa

Association (संघ) ↔️ समाज कब से होने लगा 🤷 🤔


सूर्य सिंह बेसरा जी के नेतृत्व में बने आइमा बार - बार अपना नाम को बदल दे रहा हैं, इनका नाम और काम में भी बड़ा भ्रामक अंतर देखने को मिल रहा हैं। जिससे माहली समाज में काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा हैं, समाज के लोग भ्रमित हो रहे हैं। बेसरा और उनका अवैध संगठन (NGO) समाज को गुमराह करने में लगा हुआ हैं।


हम सभी इनके इन नकारात्मक रवैयो और असमाजिक गतिविधियों का कड़ा विरोध करते हैं।


AIMAA के बैनर तले चल रहे बेसरा जी और उनके साथीगण इस तरह का नकारात्मक प्रभाव को समाज में प्रचारित करना अविलंब बंद करे। मनमानी तरीके से संचालित और अवैध संगठन AIMAA के द्वारा तय आयोजन और निर्णय लेकर माहली समाज में थोपने का काम पर रोकथाम 🚫 लगाए। झारखंड और ओडिशा से आइमा के अध्यक्ष से पूछे गए AIMAA संगठन के लिए इन सवालों का जल्द से जल्द जवाब को समाज के सामने देना चाहिए 🫠


अवैध आइमा (कथिक तैयारी समिति) के द्वारा लिए गए निर्णयों

  1. पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को अवमानना कर अलग से माहली माझी परगना माहाल को खड़ा करना।

  2. मनमानी तरीके से रूढ़ि प्रथा ड्राफ्ट को तैयार करना।

  3. 11 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय माहली दिवस घोषित करना।

  4. अनगर्ल निर्णय को महली समाज में थोपने जैसे गतिविधियों

का विरोध किया जा रहा हैं, किसी के साथ भी निजी तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा हैं, समाज में असामाजिक गतिविधि की रोकथाम हेतु सुझाव और सही तथ्यों को स्पष्ट रूप से समाज के सामने रखा जा रहा हैं। निजी तौर पर टीका टिप्पणी नहीं होना चाहिए अन्यथा बाध्य हो कर कानूनी कार्यवाही की जा सकती हैं। जिसमें मामला और भी जटिल होने की संभावना है। इसलिए तथाकथिक AIMAA के बैनर तले संलिप्त लोग समाज में अनगर्ल निर्णयों को समाज के साथ बैठक/ अनुमति के बिना न थोपे। यही आप सभी से आग्रह है। पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को धूमिल न करें।


बाकी किसी भी विषय पर AIMAA के सदस्यों और सूर्य सिंह बेसरा जी के साथ समाज के सामने बैठक करने के लिए तैयार हैं। पर AIMAA और उनके सदस्यगण समाज के तरफ़ से कई बार बुलाने पर भी उपस्थित नहीं हुए।

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Social Media और महली समाज को ग़लत जानकारी फैला कर कौन गुमराह/भ्रमित कर रहा हैं ❓

  • 0%AIMAA/ सूर्य सिंह बेसरा 🤔

  • 0%S S Mahali 🏹

  • 0%महली समाज 🤷



जोहार 🙏

S S Mahali 🏹


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