
15 Aug 2025
- S S Mahali

- 14 अग॰
- 4 मिनट पठन
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या में आइए जानते है,
15 अगस्त 1947 को मिली आज़ादी का महत्व। अंग्रेजो के आगमन, व्यापार और गुलामी से लेकर आजादी तक की संक्षिप्त कहानी।

भारत में अंग्रेज़ के आने का इतिहास:
अंग्रेज़ों ने भारत में शुरुआत व्यापार के उद्देश्य से की थी। वर्ष 24 अगस्त, 1608 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारी पहली बार गुजरात के सूरत बंदरगाह पर पहुँचे। उनका मुख्य उद्देश्य मसाले और अन्य व्यापारिक वस्तुओं का आयात-निर्यात था। धीरे-धीरे अंग्रेज़ व्यापारिक शक्ति से राजनीतिक शक्ति बन गए, और 1757 के प्लासी युद्ध के बाद उन्होंने भारत में अपना शासन स्थापित करना शुरू किया।

प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को भागीरथी नदी के किनारे 'प्लासी' नामक स्थान में हुआ था जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील दूर स्थित है। इस युद्ध में एक ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की 3,100 सेना थी तो दूसरी ओर थी बंगाल के नवाब की 50,000 सेना।
कंपनी की सेना ने रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में नवाब सिराज़ुद्दौला को हरा दिया था। किंतु इस युद्ध को कम्पनी की जीत नही मान सकते कयोंकि युद्ध से पूर्व ही नवाब के तीन सेनानायक मीर जाफर, उसके दरबारी, तथा राज्य के अमीर सेठ जगत सेठ आदि से कलाइव ने षडंयत्र कर लिया था। नवाब की तो पूरी सेना ने युद्ध मे भाग भी नही लिया था। युद्ध के तुरन्त बाद मीर जाफ़र के पुत्र मीरन ने सिराजुद्दौला की हत्या कर दी थी। इस युद्ध को भारत के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण माना जाता है।
इस युद्ध के परिणामस्वरूप ही भारत में अंग्रेजों ने पैर जमा लिये।
वहीं आदिवासियों के साथ पहली लड़ाई में ही अंग्रेजी हुकूमत को लोहे के चने चबा कर हार का सामना करना पड़ गए था।
1770 के भयानक अकाल के दौरान अंग्रेज़ों ने कोई राहत नहीं दी, जिससे आदिवासियों में रोष और विद्रोह की आग जल गई।

तिलका मांझी एक आदिवासी निडर योद्धा थे। तिलका माझी ने संथाल और अन्य आदिवासी लोगों को एकजुट किया, जंगल के भीतर से गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई। 1771 से 1785 में अपनी हत्या तक विद्रोह का नेतृत्व किया। किसी भी तथाकथित क्षत्रिय राजा ने कंपनी की सेनाओं के विरुद्ध विद्रोह की कल्पना भी नहीं की थी। इसके विपरीत, उन्होंने कंपनी के अधिकारियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे। लेकिन तिलका मांझी किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप और प्रभुत्व के विरुद्ध अडिग रहे। उनके लिए, आदिवासियों के जीवन में इस प्रकार के हस्तक्षेप का स्पष्ट उद्देश्य गुलाम बनाना था। कंपनी ने उन्हें तिलका मांझी नाम दिया – पहाड़िया भाषा में, “तिलका” का अर्थ क्रोधित लाल आँखों वाला व्यक्ति होता है। जबरा आगे चलकर गाँव का मुखिया बना और पहाड़िया समुदाय में ग्राम प्रधान को “मांझी” कहकर संबोधित करने का रिवाज है। इसी से उनका नाम तिलका मांझी पड़ा। यूरोपीय लोग जबरा पहाड़िया को एक खूंखार डाकू और गुस्सैल (क्रोधित) मांझी भी कहते थे। दिलचस्प बात यह है कि “जबरा पहाड़िया” नाम ब्रिटिश दस्तावेजों में तो दिखाई देता है, लेकिन उसमें “तिलका” का कोई उल्लेख नहीं है।
1778 में रामगढ़ के ब्रिटिश शिविर पर हमला कर तिलका माझी ने अपने विद्रोही दल की शक्ति का परिचय दिया।
तिलका माझी ने अंग्रेज़ अधिकारी अगस्टस क्लीवलैंड को ज़हर लगे तीर से मार गिराया (13 जनवरी 1784), जिससे अंग्रेज़ प्रशासन भयभीत हो उठा। अंग्रेज़ सेना ने तिलका माझी को पकड़ने के लिए टिलापुर जंगल को घेर लिया, कई हफ्तों तक विद्रोही दस्ता जंगल में अंग्रेज़ों का मुकाबला करता रहा।
अंततः 1785 में तिलका माझी को पकड़कर घोड़े की पूंछ से बाँधकर भगलपुर ले जाया गया और वहां एक बरगद के पेड़ पर उन्हें फाँसी दे दी गई।
तिलका माझी का आंदोलन भारत के शुरुआती स्वतंत्रता संघर्षों में गिना जाता है। उनकी बहादुरी और बलिदान ने आगे चलकर संथाल हूल (1855-56), मुंडा विद्रोह, कोल विद्रोह जैसे बड़े आदिवासी आंदोलनों को प्रेरणा दी।
भारतीय विद्रोह 10 मई 1857 को मेरठ में शुरू हुआ और 20 जून 1858 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा में भारतीय सैनिकों (सिपाहियों) द्वारा ग्वालियर में समाप्त हुआ।
ब्रिटिश राज का औपचारिक समय 1858 से 1947 तक रहा।
15 अगस्त 1947: स्वतंत्रता का ऐतिहासिक दिन
15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हुआ। इस दिन भारत और पाकिस्तान, दो स्वतंत्र राष्ट्र बने। जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले पर पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया और "ट्रिस्ट विद डेस्टिनी" ऐतिहासिक भाषण दिया। महात्मा गांधी, इस क्षण में सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए सक्रिय रहे, क्योंकि विभाजन के चलते लाखों लोगों की जान गई थी.
15 अगस्त 2025: 79वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
आप सभी को भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! यह ऐतिहासिक दिन हमें हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान की याद दिलाता है। साल 2025 में हम आजादी के 79 गौरवशाली वर्ष पूरे कर रहे हैं।
इस साल का थीम: “नया भारत” (New India)
2025 में स्वतंत्रता दिवस की थीम है “न्यू इंडिया”, जिसका उद्देश्य 2047 तक भारत को समृद्ध, सुरक्षित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना है। यह थीम “विकसित भारत विजन” को और मजबूत करने का प्रतीक है।
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