
महली समाज दिशवा आचार – बिचर 2025
- S S Mahali

- 5 अक्टू॰
- 4 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 6 अक्टू॰
दिनांक : 05 अक्टूबर 2025
स्थान : डाक बंगला, जिला परिषद, मुसाबनी (पूर्वी सिंहभूम)

महली समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक और संगठनात्मक पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत आज “महली समाज दिशवा आचार – बिचर 2025” विषय पर एक दिवसीय बैठक का आयोजन तोरोप पारगाना बाबा सोबरा हेंब्रम की अध्यक्षता में किया गया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य समाज की एकता, पहचान, संस्कृति और संगठनात्मक ढांचे को सुदृढ़ एवं सुव्यवस्थित बनाना रहा। बैठक में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, महिला नेतृयों और युवाओं ने सक्रिय भागीदारी की।

बैठक की शुरुआत महली समाज की सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने के प्रस्ताव से हुई। वक्ताओं ने कहा कि समाज को अपनी पारंपरिक संस्कृति, भाषा, गीत-संगीत, वेशभूषा और धार्मिक परंपराओं को सुरक्षित रखने के लिए सामूहिक रूप से आगे आना होगा। “महली भवन” और “जाहेरथान” जैसे सांस्कृतिक एवं धार्मिक स्थलों के विकास की दिशा में भी विचार रखा गया। युवाओं को संस्कृति और परंपरा से जोड़ने तथा समाज के गौरवशाली इतिहास को दस्तावेजीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

दूसरे चरण में समाज के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने पर चर्चा हुई। उपस्थित सदस्यों ने सुझाव दिया कि ग्राम, पंचायत और प्रखंड स्तर पर “आदिम महली महाल (पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था)” जैसी प्रणाली को और अधिक सशक्त किया जाए ताकि समाज में निर्णय प्रक्रिया पारदर्शी और व्यवस्थित हो सके। संगठन के प्रत्येक पदाधिकारी की भूमिका और जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। समाज में एकता, जागरूकता और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता अभियान चलाने का भी निर्णय लिया गया।

बैठक में विशेष रूप से श्री सूर्या सिंह बेसरा जी के नेतृत्व में चल रहे AIMA संगठन के संदर्भ में भी चर्चा की गई। उपस्थित प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा तैयार किए जा रहे Customary Laws और AIMAA संगठन को महली समाज अस्वीकार करता है। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि AIMA का गठन विधिसम्मत तरीके से नहीं किया गया है, इसलिए समाज इसे मान्यता नहीं देता हैं। समाज ने यह भी प्रश्न उठाया कि झारखंड पोनोत पारगाना मन कान्हु राम मार्डी द्वारा समाज की अनुमति के बिना अन्य संगठनों को सहयोग प्रदान करना उचित नहीं है। प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि महली समाज से संबंधित किसी भी कार्य की शुरुआत शीर्ष स्तर से नहीं, बल्कि ग्राम और जमीनी स्तर से होनी चाहिए ताकि समाज की वास्तविक भागीदारी सुनिश्चित हो।

बैठक में आगे यह भी स्पष्ट किया गया कि AIMA द्वारा गठित झारखंड राज्य समिति को महली समाज की सहमति प्रदान नहीं करती है। साथ ही निर्णय लिया गया कि बाँस (Bamboo) शिल्प एवं कारीगरी को प्रत्येक गाँव में प्रोत्साहित किया जाएगा और स्थानीय युवाओं को व्यापार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
12 अक्टूबर 2025 को झारग्राम पश्चिम बंगाल में आयोजित होने वाले AIMAA द्वारा आयोजित रूढ़ि परंपरा के मसौदे को पारित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम के संबंध में भी चर्चा हुई, जिसमें महली समाज ने ये स्पष्ट किया कि इस कार्यक्रम महली समाज की स्वीकृति या सहमति नहीं है।
बैठक में यह भी कहा गया कि श्री सूर्या सिंह बेसरा अपने व्यक्तिगत विचार या मत के रूप में कुर्मी समाज को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने की बात रख सकते हैं, परंतु इस विषय में महली समाज का कोई सामूहिक सरोकार या समर्थन नहीं है।
बैठक में अन्य सामाजिक विषयों — जैसे शिक्षा और रोजगार के अवसर, स्वास्थ्य एवं नशामुक्ति अभियान, “आदिम महली विकास कोष” की स्थापना, और धार्मिक स्थलों के संरक्षण — पर भी विचार-विमर्श हुआ। सभी ने मिलकर निर्णय लिया कि इन विषयों पर ठोस कार्ययोजना तैयार की जाएगी और समाज के हित में नियमित समीक्षा बैठकों का आयोजन होगा।
इस बैठक में ओडिशा और झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। प्रमुख उपस्थितियों में ओडिशा पोनोत पारगाना लक्ष्मन माहली, मासो अध्यक्ष श्यामलाल माहली, ओडिशा पोनोत माझी बाबा गोरा चाँद माहली, आतु माझी बाबा, सिंगराय महली, मासो राज्य कार्यकारी सदस्य शेखर चंद्र महली, महिला नेतृ अंजली बेसरा, मासो कार्यकारी सदस्य कोंदा राम माहली, जिला परिषद सदस्य शिवनाथ माहली, बुद्धेश्वर मार्डी, आतु माझी बाबा कार्तिक टुडू, पोनोत जोग माझी बासुदेव मार्डी, पूड़सी माझी बाबा मंगल माहली, नंदलाल माहली, सीताराम बेसरा, सहदेव सोरेन, शंकर सेन माहली, गौरांग बेसरा सहित सैकड़ों की संख्या में महली समाज के लोग शामिल हुए।
बैठक का समापन समाज की एकता और विकास के संकल्प के साथ किया गया। उपस्थित प्रतिनिधियों ने यह आह्वान किया कि — “महली समाज को यदि आगे बढ़ना है, तो एकता , एकरूपता और अपनी संस्कृति के प्रति सम्मान ही इसका मूल मंत्र होगा।”
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