top of page

पारंपरिक विरासत और अधिकारों की रक्षा का संकल्प

लेखक की तस्वीर: S S MahaliS S Mahali

अपडेट करने की तारीख: 18 फ़र॰

आदिम माहली माहाल की बैठक:

पारंपरिक विरासत और अधिकारों की रक्षा का लिया गया संकल्प।

झारखंड के मुसाबनी में स्थित पूर्वी मुसाबनी पंचायत भवन में 16 फ़रवरी 2025 को आयोजित "आदिम माहली माहाल" की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी जिसमें विभिन्न राज्यों—असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से आए माहली समुदाय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक में माहली समाज की परंपराओं, रीति-रिवाजों, सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक स्वशासन प्रणाली को संरक्षित करने एवं मजबूत बनाने पर गहन चर्चा की गई।

इस बैठक में पारंपरिक विरासत को संजोने का संकल्प लिया गया साथ ही ये निर्णय भी लिया गया कि माहली समाज की परंपराओं को लिखित रूप में संरक्षित किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी जड़ों से जुड़ी रहें। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान समय में बाहरी प्रभावों के कारण हमारी सांस्कृतिक पहचान खतरे में है, इसलिए हमें "हमारी परंपरा, हमारी विरासत" के तहत हर संभव सहयोग करना होगा।

📜 PESA अधिनियम 1996 और PESA नियमावली 2024 पर विस्तृत चर्चा: बैठक में पंचायती राज व्यवस्था में आदिवासी समुदायों को विशेष अधिकार देने वाले PESA अधिनियम 1996 और हाल ही में प्रारूप प्रकाशित PESA नियमावली 2024 पर विशेष रूप से चर्चा की गई। वक्ताओं ने JPRA 2001 (झारखंड पंचायत राज अधिनियम) का समर्थन किया और PESA नियमावली 2024 को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की, जिससे माहली समाज के पारंपरिक स्वशासन को संवैधानिक अधिकार मिल सके।


🗣️ वक्ताओं के प्रमुख विचार:

इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे तोरोप परगना सोबरा हेम्ब्रम ने माहली समाज की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को मजबूत करने पर बल दिया।


1. मुख्य अतिथि:

असम से आए उत्पल महली ने सभी माहली समाजबंधुओं को मेरा सादर जोहार! कह कर अपने संबोधन में के कहा कि मैं असम से यहाँ आया हूँ, और यहाँ आकर मुझे बहुत ही गर्व हो रहा है कि हमारा समाज जागरूक हो रहा है। लेकिन हमें सिर्फ जागरूक नहीं, संगठित और सक्रिय भी होना होगा। "हमारी पहचान तभी बचेगी, जब हम संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए खड़े होंगे।" हमें अपनी विरासत को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करना होगा। उन्होंने असम के माहली समुदाय की स्थिति और चुनौतियों को भी बैठक में साझा किया।


उत्पल माहली ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में माहली समाज की परंपराएँ अलग-अलग तरीके से निभाई जा रही हैं, जिससे समाज में भिन्नता बढ़ रही है। यदि हम समाज में एकता और मजबूती चाहते हैं, तो हमें सभी अनुष्ठानों में समानता लानी होगी। माहली ने अंत में कहा कि यदि समाज में एकरूपता आएगी, तो माहली समाज मजबूत होगा। हमें अपने रीति-रिवाजों को नई पीढ़ी तक पहुँचाना होगा और उन्हें यह सिखाना होगा कि हमारी परंपराएँ सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हमारी पहचान और अस्तित्व की नींव हैं।


🌾 "हमारी एकता, हमारा अस्तित्व" 🌾

 

2. मुख्य वक्ता: शंकर सेन माहली ने बताया कि आज हम यहाँ अपनी परंपरा, विरासत और अधिकारों की रक्षा के लिए एकत्रित हुए हैं। हमारे पूर्वजों ने जो परंपराएँ और रीति-रिवाजों को हमें सौंपी हैं, वे केवल इतिहास नहीं हैं, बल्कि हमारी असली पहचान हैं। हमारी परंपराएँ हमारी जड़ें हैं, और इन्हें बचाए बिना हमारा अस्तित्व संभव नहीं। परंतु दुर्भाग्यवश, हम आधुनिकता की दौड़ में अपनी सांस्कृतिक पहचान एवं जड़ों से दूर होते जा रहे हैं। आज जरूरत है कि हम मिलकर अपनी परंपराओं को पुनर्जीवित करें और अपने समाज को एकजुट कर संगठित होकर अपनी संस्कृति और पारंपरिक व्यवस्थाओं को मजबूत कर 🌼 हमारी परम्परा, हमारी विरासत 🌸 को सहयोग करने के लिए युवाओं को जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया। भारतीय संविधान और PESA कानून हमारे हक की रक्षा करता है। संविधान की पाँचवीं अनुसूची ने आदिवासी क्षेत्रों को विशेष सुरक्षा दी है, और PESA अधिनियम 1996 ने हमें अपने गाँवों में स्वशासन का अधिकार दिया है। लेकिन यह तभी प्रभावी होगा जब PESA नियमावली 2024 को पूरी तरह लागू किया जाए। हमें इसे सही तरीके से समझना और अपने गाँवों में लागू करवाना होगा, ताकि जल, जंगल, ज़मीन पर हमारा अधिकार बना रहे।


"हमारी परंपरा, हमारी विरासत" अभियान के तहत हमें अपने रीति-रिवाजों को लिखित रूप में संरक्षित करना होगा और नई पीढ़ी को जागरूक करना होगा। अगर हम संगठित होकर अपनी परंपरा, संस्कृति और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए काम करेंगे, तो कोई भी हमें कमजोर नहीं कर सकता।


"एकता ही शक्ति है।" आइए, मिलकर अपनी विरासत को बचाएँ!"


अभी के लिए इतना ही कह कर अपनी वाणी को विराम देते हैं, उपस्थित सभी अतिथि एवं समाजबंधुओं को 🙏 जोहार

 

बुद्धेश्वर मुर्मू (पूर्व जिला परिषद सदस्य) और रामदेव हेम्ब्रम (प्रखंड प्रमुख, मुसाबनी) ने सामाजिक और शैक्षिक सशक्तिकरण पर अपने विचार रखे। हमारी परंपराएँ और रीति-रिवाज हमारे अस्तित्व का आधार हैं। छठी संस्कार नौ दिनों में संपन्न होता है, श्रद्धा कर्म दसवें दिन किया जाता है, और शादी में गोनांग के रूप में धन और वस्त्र भेंट किए जाते हैं। ये सभी हमारे सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़े हैं, लेकिन वर्तमान समय में अलग-अलग क्षेत्रों में इन परंपराओं में भिन्नता आ गई है। हमें यह समझना होगा कि यदि हमारी रीति-रिवाजों में एकरूपता नहीं होगी, तो समाज में एकता कमजोर होगी। जब तक हम अपनी परंपराओं को एक समान नहीं करेंगे, तब तक समाज में बिखराव बना रहेगा। इसलिए, यह आवश्यक है कि माहली समाज के सभी लोग सामाजिक अनुष्ठानों में एकरूपता लाने का संकल्प लें।


✅ क्या करना जरूरी है?

  • सभी पारंपरिक अनुष्ठानों में समान नियमों को अपनाना।

  • विवाह, जन्म संस्कार, मृत्युभोज आदि में समाज के तय मानकों का पालन करना।

  • पारंपरिक माझी बाबा, जोग माझी, गोड़ेत, परगना की भूमिका को सशक्त करना।

  • समाज की परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुँचाना हैं।


यदि हम अपनी परंपराओं को एकरूपता देंगे, तो समाज में एकता और मजबूती आएगी। हमारी परंपराएँ ही हमारी पहचान हैं, इन्हें संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है।


"माहली समाज में एकता और एकरूपता के लिए सामाजिक अनुष्ठानों का समरसता होना आवश्यक हैं"


"हम संगठित रहेंगे, तो कोई भी हमें कमजोर नहीं कर सकता।"

 

हरि नारायण महली ( महली जनजाति विकाश मंच) के अध्यक्ष के द्वारा जताई गई चिंता एक गंभीर और आवश्यक मुद्दा है। यदि महली समाज अपनी सांस्कृतिक विरासत, पारंपरिक धरोहर और रीति-रिवाजों को बचाना चाहता है, तो गाँव से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक एक मजबूत संगठन बनाना होगा। जब तक समाज संगठित नहीं होगा, तब तक उसकी पहचान धीर-धीरे विलुप्त होती जाएगी।" इसलिए, प्रत्येक महली समाज के व्यक्ति को इस अभियान में जुड़ना हगा और अपनी संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए आगे आना होगा।

 

ओडिशा से आए लक्ष्मण माहली (ओडिशा पोनोत परगना) – उन्होंने ओडिशा में रह रहे माहली समाज के पारंपरिक रीति-रिवाजों को बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। परगना लक्ष्मण महाली ने माहली समाज के सामाजिक अनुष्ठानों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने समाज की परंपराओं को संरक्षित करने और उनमें एकरूपता लाने पर जोर दिया। माहली समाज के सामाजिक अनुष्ठानों पर विस्तृत चर्चा की।


जन्म और छठी, विवाह, मृत्यु संस्कार


जन्म से लेकर मरण तक के सामाजिक अनुष्ठान के बारे में

लक्ष्मण महाली ने बताया कि माहली समाज में हर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न चरणों में पारंपरिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जो हमारी संस्कृति और पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं। इनमें जन्म संस्कार, नामकरण, छठी, विवाह, मृत्यु संस्कार और अन्य धार्मिक अनुष्ठान शामिल हैं इस सभी में सभी जगह रह रहें समाज की परंपराओं को संरक्षित करने और उनमें एकरूपता लाने पर जोर दिया।

 

शेखर माहली ने समाज के सभी बंधुओं से आग्रह किया कि हमारी परंपराएँ ही हमारी पहचान हैं। यदि हमने इन्हें छोड़ दिया या इसमें लापरवाही बरती, तो हमारी संस्कृति विलुप्त हो जाएगी। उन्होंने सभी को संकल्प दिलाया कि हम अपनी परंपराओं को संरक्षित करेंगे और समाज में इसे एक समान रूप से लागू करेंगे।

 

रमेश महली ( महली जनजाति विकास मंच) के सचिव ने संविधान में प्रदत्त पेसा कानून 1996 और पेसा नियमावली 2024 पर चर्चा करते हुए कहा कि ये कानून हमारे हृक और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। लेकिन जब तक हम स्वयं इनका अध्ययन नहीं करेंगे और इनका सही तरीके से पालन नहीं करेंग, तब तक इनका पूरा लाभ समाज को नहीं मिलेगा। हमें अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना होगा और इन्हें लागू करने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा।

 

शिवनाथ माहली (गुडाबांदा, जिला परिषद सदस्य) – उन्होंने माहली समाज के आर्थिक विकास और स्वरोजगार के अवसरों पर बात की। उन्होंने कहा कि हमारी सबसे बड़ी चुनौती समाज में एकता की कमी और लोगों की निष्क्रियता है। समाज के बहुत से लोग व्यक्तिगत स्वार्थ में लगे हुए हैं और अपनी जिममेदारियों से पीछे हट रहे हैं। हमें लोगों को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना होगा और सभी को सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना हीगा।


शिवनाथ ने अपने संबोधन का समापन इस शब्दों के साथ किया, "समाज की शक्ति उसकी एकता में है। हमें सभी को जोड़कर, अपने परंपराओं को मजबूती से लागू करना होगा, ताकि हम अपने समाज को आने वाले समय में और अधिक सशक्त बना सकें।"

 

रामदेव हेंब्रम (मुसाबनी प्रखण्ड प्रमुख) ने अपने विचार व्यक्त करते हुए समाज के समक्ष कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया। उन्होंने माहली समाज की स्थिति और भविष्य के बारे में अपनी चिंताएँ साझा की।


रामदेव हेंब्रम ने कहा, "हमारे समाज में आज एकता और सक्रियता की कमी महसूस हो रही है। लोग अपनी व्यक्तिगत जिंदगी में इतने व्यस्त हो गए हैं कि समाज की भलाई के लिए उनके पास समय नहीं है। हमें समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने की आवश्यकता है ताकि हम अपने सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।" रामदेव जी ने पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "हमारी परंपरा और स्वशासन व्यवस्था समाज को दिशा देने का कार्य करती है। यदि हम अपने स्वशासन को पुनः सशक्त नहीं करेंगे, तो हमारी पहचान और अस्तित्व पर संकट आ सकता है। हमें अपनी संस्कारों और संविधान के अंतर्गत इसे पुनर्जीवित करना होगा।"


रामदेव हेंब्रम ने समाज के हर व्यक्ति से यह अपील की, "हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और समाज में योगदान देना होगा। सिर्फ कुछ लोग अगर प्रयास करेंगे तो समाज में बदलाव नहीं आ सकता। हमें हर एक सदस्य को जागरूक करना होगा और उनकी भूमिका तय करनी होगी।"


उन्होंने कहा, "हमारे समाज की प्राचीन परंपराएँ और संस्कार हमारी सबसे बड़ी धरोहर हैं, जिन्हें हमें न केवल बचाए रखना चाहिए बल्कि नई पीढ़ी में उनका प्रचार भी करना चाहिए। समाज में एकरूपता और अखंडता तभी आएगी जब हम एकजुट होकर अपनी परंपराओं को बनाए रखेंगे।"

 

बासुदेव मार्डी ने कहा कि आज हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए हैं—हमारी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था का सशक्तिकरण। यह व्यवस्था ही हमारे समाज की आत्मा है, लेकिन आज इसकी स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। हमारी एकता और एकरूपता कमजोर हो रही है, और हमारे लोग अपनी परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं। आज जरूरत इस बात की है कि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझे। हमें केवल अपने स्वार्थ तक सीमित नहीं रहना है, बल्कि अपने समाज की भलाई के लिए भी कार्य करना होगा। यदि हम सक्रिय नहीं हुए, तो हमारी संस्कृति और परंपराएँ धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएँगी। इसलिए, हमें अपनी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को जागरूकता और एकता के माध्यम से मजबूत बनाना होगा।


हमें यह समझना होगा कि जब तक हम संगठित नहीं होंगे, हमारी परंपराएँ और अधिकार खतरे में रहेंगे। हमारे पारंपरिक पद—जोग माझी, गोड़ेत, पाहन, मांझी बाबा, परगना—इनकी भूमिका को मजबूत करना होगा। हमें यह देखना होगा कि इन व्यवस्थाओं में जो भी कमियाँ हैं, उन्हें दूर कर सही दिशा में आगे बढ़ाया जाए।


आइए, एक नई पहल करें और अपने समाज को सशक्त बनाएं!

 

📝 बैठक में शामिल प्रमुख प्रतिनिधि:

बैठक में विभिन्न गाँवों से आए माझी बाबा, परगना बाबा, जोग माझी, गोडेत समेत कई समाजसेवी और बुद्धिजीवी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख नाम सलखू बेसरा, दुग्गु माहली, बलराम मार्डी, अक्लू सोरेन, लक्ष्मण मार्डी, लखीचरण बास्के, नंदलाल माहली, सुनील मार्डी, बबलू माहली, सुनील कुमार महली, गंगाराम मार्डी, तुलाराम महली, बिहारी किस्कु, अनिरुद्ध महली, हरी शंकर राम महली, सुकुमार महली, कान्हू राम हांसदा, हरिनारायण महली, सुनील मुर्मू आदि।


🚀 आगे की रणनीति:

1. "हमारी परंपरा, हमारी विरासत" अभियान को पूरे समाज में व्यापक रूप से लागू करना।

2. माहली समाज की सांस्कृतिक धरोहर, रीति-रिवाजों और स्वशासन प्रणाली को डॉक्यूमेंटेशन और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संरक्षित करना।

3. PESA नियमावली 2024 को जल्द लागू करवाने के लिए सामूहिक प्रयास और सरकार को ज्ञापन सौंपना।

4. माहली युवाओं को संगठित कर उन्हें शिक्षा, स्वरोजगार और पारंपरिक हस्तकला उद्योगों से जोड़ना।

इस महत्वपूर्ण बैठक का संचालन लक्षण मार्डी ने बहुत ही सुव्यवस्थित और अनुशासित तरीके से किया। उन्होंने न केवल सभा को एक संगठित रूप में आगे बढ़ाया बल्कि समाज के विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा को भी सुनिश्चित किया। लक्षण मार्डी ने पूरे कार्यक्रम का कुशलतापूर्वक संचालन करते हुए सभा को एक सशक्त निष्कर्ष तक पहुँचाया। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों को समाजहित में सक्रिय भूमिका निभाने और पारंपरिक व्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने की अपील की। अंत में, उन्होंने बैठक के सफल आयोजन के लिए सभी प्रतिभागियों और वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।


आज की बैठक ने माहली समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया। पारंपरिक पहचान की रक्षा और संवैधानिक अधिकारों की प्राप्ति के लिए आदिम माहली माहाल की यह पहल पूरे समाज को संगठित करने में सहायक होगी।


🙏 जोहार!

S S Mahali 🏹

जोग माझी, झारखंड पोनोत

आदिम माहली माहाल

📞 9097111671

 

_ऐसे ही_

ℹ️ सूचनाएं ,📡 न्यूज़ अपडेट्स,🤭 मीम्स, 💼 करियर के मौके, 🇮🇳 देश-दुनिया 🌍 की खबरें, 🏹 आदिवासी मुद्दों और जागरूकता की जानकारी,♥️ जीवन की समस्याओं के समाधान,📱 टेक्नोलॉजी और नई तकनीकों की जानकारीयों की Regular Updates 📰 पाने के लिए हमारे चैनल 📺 को Follow 🤳करें


👇 WhatsApp Channel


🌟 इस जानकारी को सभी के साथ साझा करें! 🌟


📢 अपने सभी दोस्तों को भेजे एवं सभी ग्रुप में पोस्ट कर अधिक से अधिक लोगों तक ये जानकारी पहुंचाएं।💪 हमारे प्रयासों को मजबूत बनाने और जागरूकता बढ़ाने में मदद करें। 🌍 आपकी भागीदारी समाज और मानवता के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।


आपके सपनों को साकार करने और आपके अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर।


Keep Supporting @ 🌐 SSMahali.com 💕

 
 
 

Comentários


Contact

Your are Visitor No.
© 2024 SSMahali.com

Musabani, Jamshedpur

Jharkhand, INDIA - 832104

​​

  • Facebook
  • X
  • Instagram
  • Youtube
bottom of page