लोकसभा न विधानसभा सबसे ऊँची ग्रामसभा
घाटशिला अंचल के गुड़ाझोर मौजा में समेकित ड्राइविंग प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान (आई डी टी आर) के लिए जमीन चयनित किए जाने के खिलाफ स्थानीय ग्राम सभा ने सोमवार को डीसी ऑफिस जमशेदपुर में हथियार बंद प्रदर्शन किया। इस दौरान जमकर नारेबाजी की गई। स्थानीय प्रसाशन एवं दलालों के द्वारा ग्नामीणों को राशन कार्ड से मिल रहें राशन लाभ से बंचित करने की धमकी और प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं करने पर जेल होने का भय दिखा कर ग्राम सभा से लोगों को बरगला कर एक कागज़ पर इसके के लिए जबरन अनुमति ली गई थी। कहा गया था, कि भारी वाहन प्रशिक्षण केंद्र (Heavy Vehicle Training Center) सरकारी जमीन पर बनेगा अगर अनुमति नहीं देंगे तो, क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी।
प्रदर्शन के बाद उपायुक्त को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें दावा किया गया है कि, जिस जमीन को प्रशिक्षण संस्थान के लिए चयनित किया गया है, वहां पर जाहेरथान, हाड़शाली अर्थात खड़िया आदिवासियों का श्मशान है। यही नहीं वह गोचर व कृषि भूमि है। जिस पर समुदाय का स्वामित्व है। उस जमीन को स्थानीय प्रशासन जबरन अधिग्रहण करना चाहता है। इसके के लिए घाटशिला के अंचलाधिकारी और कर्मचारीगण उन्हें बिना सूचना दिए दल-बल के साथ आये थे। उनका कहना है कि उन्हों ने सीओ को इस जमीन की प्रकृति से अवगत करा दिया है। उस जमीन से उनकी धार्मिक आस्था जुड़ी है। वे नहीं चाहते कि वर्षों से चली आ रही उनकी आजीविका, पारंपरिक धरोहर, पूजा स्थल और हाड़शाली को नष्ट किया जाए।
जाने क्या है पूरा मामला ?
घाटशिला प्रखंड: मान मनौव्वल पर भी नहीं माने ग्रामीण, भारी वाहन चालक प्रशिक्षण केंद्र का विरोध विगत 5 अप्रैल 2023 से ही घाटशिला प्रखंड के गुड़ाझोर में इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च (आईडीटीआर) केंद्र की स्थापना का विरोध शुरू हो गया था। जानकारी हो कि बुधवार को बाघुड़िया पंचायत के गुड़ाझोर गांव में सरकारी चालक प्रशिक्षण केंद्र निर्माण को लेकर ग्राम प्रधान रामचंद्र सिंह की अध्यक्षता में ग्रामसभा हुई। जिसमें घाटशिला अंचल निरीक्षक संतोष कुमार, कर्मचारी चंद्रमा राम, जिला परिषद सदस्य सुभाष सिंह, मुखिया पविता सिंह उपस्थित थीं।
घाटशिला अंचल निरीक्षक ने बताया कि खाता संख्या-149, प्लॉट संख्या 609 में 12 एकड़ जमीन पर चालक प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण किया जाएगा। जिससे गांव का विकास होगा तथा दूर-दराज से आकर लोग भारी वाहन चालक का प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इधर ग्रामीणों ने इसका विरोध करते हुए किसी भी कीमत पर केंद्र नहीं खोलने की बात कही। ग्रामीणों ने बताया कि उक्त जमीन गोचर भूमि है, साथ ही सबर जनजाति के लाेगाें का श्मशान घाट भी है।
ग्रामीण यहां गोट पूजा करते हैं। गांव की जमीन पर दूसरी परियाेजना शुरू की जा सकती है, पर चालक प्रशिक्षण केंद्र नहीं खाेलने दिया जाएगा। पूर्व में ग्रामीणाें ने नहर निर्माण के लिए जमीन दी थी। जिससे ग्रामीणों की काफी जमीन बर्बाद हाे गई। सरकार यहां आवासीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय तथा अस्पताल खोले पर चालक प्रशिक्षण के लिए जमीन नहीं दी जाएगी। संतोष कुमार ने बताया कि 18 एकड़ सरकारी जमीन है, जिसमें 12 एकड़ की जरूरत है।
ग्रामीण किसी भी सूरत में जमीन देने काे तैयार नहीं हुए। घाटशिला अंचल अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि इसके लिए फिर से ग्रामसभा होगी। माैके पर उपस्थित लाेगाे में सुफल सिंह, बंकिम सिंह, जय सिंह, हरीनाथ सिंह, मंगल सिंह, कालीचरण सिंह, सुनील सिंह, वरुण सिंह सहित ग्रामीण उपस्थित थे।
आईडीटीआर का निर्माण के लिए घाटशिला के गुड़ाझोर गांव में 12 एकड़ भूमि का हुआ है चयन इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च (आईडीटीआर) बनाने के लिए प्रशासन ने घाटशिला के गुड़ाझोर में 12 एकड़ भूमि का चयन किया गया है। इसके लिए भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव जिला प्रशासन की ओर से विभाग को भेजा गया है।
काशीडीह में ग्रामीणों द्वारा आईडीटीआर बनाने के विरोध के कारण विभाग को काम रोकना पड़ा था। पिछले 27 माह से काम बंद पड़ा हुआ है। इससे काशीडीह में आईडीटीआर के निर्माण में लगे करीब 2 करोड़ रुपए बेकार हो गए। अब फिर नए सिरे से डीपीआर तैयार कर आईडीटीआर का निर्माण कराया जाएगा।
परिवहन विभाग ने गुड़ाझोर के राजस्व थाना नंबर 1123, खाता नंबर 149 व प्लाट नंबर 609 से संबंधित भूमि का चयन किया गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने एमजीएम थाना क्षेत्र के काशीडीह में आईडीटीआर के निर्माण के लिए 15 करोड़ की राशि स्वीकृत की थी। आईडीटीआर का निर्माण परिवहन विभाग को करना था और उसका संचालन टाटा मोटर्स द्वारा किया जाता।
क्या हैं आई डी टी आर?
राज्य में हैवी मोटर ड्राइविंग संस्थान नहीं है, जहां भारी वाहन के परिचालन का प्रशिक्षण की व्यवस्था हो। इस कमी को दूर करने के लिए संस्थान की स्थापना की योजना बनाई गई है। सेंटर में वाहन के प्रशिक्षण के लिए ट्रैक, कंप्यूटर-युक्त क्लास रूम, वाहन में खराबी आने पर प्राथमिक मरम्मत का प्रशिक्षण, प्राथमिक उपचार की जानकारी देने के साथ प्रशिक्षणार्थियों के लिए छात्रावास आदि का निर्माण कराया जाएगा।
इधर जयदीप तिग्गा, अपर उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम ने जानकारी दी की घाटशिला के गुड़ाझोर में आईडीटीआर के निर्माण के लिए 12 एकड़ भूमि का चयन किया गया है। परिवहन विभाग के आदेश पर गुड़ाझोर में भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव प्रशासन की ओर से विभाग को भेजा जा रहा है।
काशीडीह में लगानी पड़ीं रोक
इसके पूर्व में भी इस योजना को जमशेदपुर के काशीडीह में आरम्भ किया गया था जिसमे आदिवासीयों की जमीन जबरन ली जा रही थी परन्तु स्थानीय ग्रामीण के विरोध के पश्चात इस योजना को रोक लगानी पड़ीं।
तीन करोड़ रुपये बेकार, अब घाटशिला के गुड़ाझोर में खुलेगा चालक प्रशिक्षण संस्थान तीन करोड़ रुपये बेकार, अब घाटशिला के गुड़ाझोर में खुलेगा चालक प्रशिक्षण संस्थान केन्द्र सरकार की निधि से बनने वाला चालक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान (आइडीटीआर) अब मानगो अंचल के काशीडीह में नहीं बनेगा। वहां करीब तीन करोड़ रुपये...
तीन करोड़ रुपये बेकार, अब घाटशिला के गुड़ाझोर में खुलेगा चालक प्रशिक्षण संस्थान तीन करोड़ रुपये बेकार, अब घाटशिला के गुड़ाझोर में खुलेगा चालक प्रशिक्षण संस्थान"
केन्द्र सरकार की निधि से बनने वाला चालक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान (आइडीटीआर) अब मानगो अंचल के काशीडीह में नहीं बनेगा। वहां करीब तीन करोड़ रुपये जो खर्च हुए, वह बेकार हो गया है। वहां के बजाय अब घाटशिला अंचल के गुड़ाझोर मौजा में आइडीटीआर खुल सकता है। यह गालूडीह के पास एनएच से नौ किलोमीटर अंदर है। यहां भी 12 एकड़ सरकारी जमीन उपलब्ध है। पास में सीआरपीएफ का कैम्प भी है। इसका निरीक्षण शुक्रवार को एडीसी जयदीप तिग्गा और घाटशिला के सीओ राजीव कुमार ने किया। अगर केन्द्र सरकार राजी हो गई तो वहीं पर चालक प्रशिक्षण संस्थान खुलेगा।
पूर्वी सिंहभूम में 2018 में आईडीटीआर खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। नवंबर 2018 में इसका ऑनलाइन टेंडर जारी हुआ था। 13 करोड़ की लागत से 12 एकड़ क्षेत्र में निर्माण होना था। के के बिल्डर को इसका टेंडर मिला था। ग्रामसभा कर वहां काम शुरू किया गया। परंतु ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया। दीवार तोड़ दी जाती थी। सामान भी चोरी होने लगा। इसके कारण संवेदक की ओर से करीब आधा दर्जन प्राथमिकी दर्ज कराई गई। दोबारा 2021 के अंत में तत्कालीन उपायुक्त सूरज कुमार की पहल पर भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच इसका निर्माण शुरू किया गया। परंतु ग्रामीणों ने फिर से हंगामा, आंदोलन शुरू कर दिया। करीब एक सप्ताह काम होने के बाद ग्रामीणों के दबाव में परिवहन मंत्री चंपई सेारेन काशीडीह पहुंचे और काम रोकने का आदेश दे दिया। इसके कारण काम रुक गया। तब से काम रुका हुआ था।
यह परियोजना पूरी तरह केन्द्र द्वारा प्रायोजित है। राज्य सरकार को सिर्फ जमीन देनी है। परंतु राज्य के एकलौते आईडीटीआर निर्माण को लेकर भी राज्य सरकार गंभीर नहीं है। हालांकि केन्द्र सरकार की लिखा-पढ़ी के बाद परिवहन विभाग को जवाब देना पड़ता है। इसलिए अब दूसरी जगह जमीन देखी जा रही है। इसके निर्माण से हैवी व्हीकल का ड्राइविंग लाइसेंस वहीं से बनने लगेगा। अभी राज्य में एक भी ऐसा सरकारी संस्थान नहीं है, जहां से हैवी व्हीकल का ड्राइविंग लाइसेंस जारी होता हो।
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