पंडित रघुनाथ मुर्मू (1905-1982) एक भारतीय संगीतकार, लेखक और भाषाविद् थे, जिन्हें संताली भाषा की लिपि विकसित करने के लिए जाना जाता है, जो भारत, बांग्लादेश और नेपाल में संथाल लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है।
मुर्मू का जन्म 5 मार्च 1905 को भारत के ओडिशा के मयूरभंज जिले के रंगमटिया नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्हें छोटी उम्र से ही संगीत और साहित्य में रुचि थी और वे संताली भाषा में निपुण हो गए, जो तब रोमन लिपि में लिखी जाती थी।
1920 के दशक में, मुर्मू ने संताली के लिए एक नई लिपि विकसित करना शुरू किया, जिसे उन्होंने ओल चिकी कहा। लिपि संताली भाषा की ध्वन्यात्मक संरचना पर आधारित थी और इसमें 30 अक्षर थे। मुर्मू का लक्ष्य एक ऐसी लेखन प्रणाली का निर्माण करना था जो संथाली भाषियों को अपनी भाषा में लिखने और अपनी संस्कृति को संरक्षित करने में सक्षम बनाए।
संताली लिपि पर अपने काम के अलावा, मुर्मू संगीतकार और संगीतकार भी थे। उन्होंने संताली भाषा में कई गीतों की रचना की, जिनमें से कई आज भी लोकप्रिय हैं। उन्होंने संताली साहित्य और व्याकरण पर कई पुस्तकें भी लिखीं।
संताली भाषा और संस्कृति में मुर्मू का योगदान महत्वपूर्ण था, और उन्हें भाषा विज्ञान के क्षेत्र में एक दूरदर्शी और अग्रणी के रूप में याद किया जाता है। उन्हें अपने जीवनकाल में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
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अगर आप भी ऑलचिकी सीखना चाहते है, तो नीचे दिए गए विश्लेषण को पढ़िए। फिर तय कीजिए आपके संताली के लिए ऑलचिकी उपयुक्त है या नहीं।
"ᱯᱟ.ᱨᱥᱤ ᱯᱚᱦᱟ" (Transliteration/लिप्यंतरण)
ओल चिकी में तीस अक्षर है,
जिनमे 6 स्वर वर्ण,
4 glottal Stop,
19 व्यंजन,
1 विशिष्ट व्यंजन तथा
6 diacritic मार्क है।
ओलचीकि वर्णमाला
ᱚ ᱛ ᱜ ᱝ ᱞ
ᱟ ᱠ ᱡ ᱢ ᱣ
ᱤ ᱥ ᱦ ᱧ ᱨ
ᱩ ᱪ ᱫ ᱬ ᱭ
ᱮ ᱯ ᱰ ᱱ ᱲ
ᱳ ᱴ ᱵ ᱝ ᱷ
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Diacritic मार्क
ᱸ . ᱺ ᱻ ᱼ ᱽ
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Vowel (ᱨᱟᱦᱟ ᱟᱲᱟᱝ)
ᱚ= ओ /o̠
ᱟ= आ /a
ᱤ= इ /i
ᱩ= उ /u
ᱮ= ए /e
ᱳ= अ /o
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Consonant (ᱠᱮᱪᱮᱫ ᱟᱲᱟᱝ)
ᱛ= त /t
ᱝ= ङ/ं/ṅ
ᱞ= ल /l
ᱠ= क /k
ᱢ= म /m
ᱣ= व /w
ᱥ= स /s
ᱦ= ह / h
ᱧ= ञ / ń
ᱨ= र /r
ᱪ= च /c
ᱬ= ण /ṇ
ᱭ= य /y
ᱯ= प /p
ᱰ= ड/ ḍ
ᱱ= न /n
ᱲ= ड़/ṛ
ᱴ= ट /ṭ
ᱶ= ं /ṅ
ᱷ= ʰ
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'ᱷ' एक विशेष व्यंजन है। क्योंकि यह एक "लिखा जाने वाला चिन्ह" (grapheme) है, जिसकी उत्पत्ति व्यक्ति द्वारा पत्थर फेंकने की आकृति से हुई है। यह अक्षर होने के कारण संथाली भाषा में कुछ शब्द हैं, जिसको लिखने में इस अक्षर का प्रयोग किया जाता है। जैसे -
ᱱᱷᱟᱜ,
ᱢᱮᱱᱷᱜ
ᱢᱮᱱᱷᱜ
दुसरी ओर "ᱷ" glottal stop 'ᱦ' और diacritic mark 'ᱽ' के संयोजन से बना अक्षर भी है, जो "ह" दर्शनीय से उच्चारण होने वाला (aspirated) व्यंजन को लिखने के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे -
ᱠᱷ= ख /kʰ
ᱜᱷ= घ /gʱ
ᱪᱷ= छ /cʰ
ᱡᱷ= झ /jʱ
ᱴᱷ= ठ / ʈʰ
ᱰᱷ= ढ /ɖʱ
ᱛᱷ= थ /tʰ
ᱫᱷ= ध/ dʱ
ᱯᱷ= फ /pʰ
ᱵᱷ= भ /bʱ
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Glottal stop (ᱠᱮᱪᱮᱫ ᱛᱟ.ᱯᱩᱜ ᱟᱲᱟᱝ)
ᱜ= ग् / g'
ᱡ= ज् / j'
ᱫ= द् / d'
ᱵ = ब् /b'
नोट : ALA-LC Transliteration में हलंत (्) और (') मार्क glottal stop चिन्ह को दर्शाता है।
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Diacritic (ᱴᱩᱰᱟ.ᱜ ᱪᱤᱠᱷᱱᱟ.)
ᱸ (मुंह टुडा:)
ᱸ (गाहला टुडा:)
ᱺ (मुंह और गाहला टुडा:)
ᱻ (रेला)
ᱼ (फारका)
ᱽ (ओहोद)
*/ᱹ /(गाहला टुडा:)- एक डायक्रिटिक मार्क है, जिससे तालव्यीकरण (palatalization) स्वर को स्पष्ट ध्वनी प्रदान करता है। जैसे - ALA-LC लिप्यंतरण (transliteration) में ᱚᱹ क़ो "ạ̄" लिखते हैं।
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उदाहरण -
ᱟᱹ ă /ə/ = ᱥᱟ.ᱨᱩ (सा.रू)
* /ᱸ/ (मुं टुडा:)- एक डायक्रिटिक मार्क है, जिससे अनुनासिक स्वर (nasalization) को स्पष्ट ध्वनी प्रदान करता है। जैसे - ALA-LC लिप्यंतरण (transliteration) में प्रभावित स्वर वर्ण के बाद "m̐" का प्रयोग करते हैं। उदाहरण -
ᱚᱸ /ɔ̃/ = ᱥᱚᱸᱜᱮ (सोंगे)
ᱟᱸ /ã/ = ᱛᱟᱸᱵᱟ (तांबा)
ᱤᱸ /ĩ/ = ᱥᱤᱸᱜᱤ (सिंगी)
ᱩᱸ /ũ/ = ᱢᱩᱸᱡ (मुंज्)
ᱮᱸ /ẽ/ = ᱮᱸᱜᱮᱞ (ऐंगेल)
ᱳᱸ /õ/ = ᱳᱸᱵᱟᱜ (ओंबा:ग्)
* /ᱺ/ (मुं और गा.हला टुडा:)- एक डायक्रिटिक मार्क है, जो यह मुं टुडा: और गा.हला टुडा: का संयोजन है। यह डायक्रिटिक मार्क से अनुनासिक और तालव्यीकरण स्वर (nasalization and palatalization) को स्पष्ट ध्वनी प्रदान करता है। जैसे -
ᱟᱺ /ə̃/ = ᱵᱟᱺᱫᱤ
* /ᱻ/(रेला) एक डायक्रिटिक मार्क है, जो किसी भी प्रकर की आवाज या ध्वनी को स्पष्ट उच्चारण प्रदान करने के लिए प्रयोग किया जाता है। उदाहरण -
कौआ की आवाज - ᱠᱟᱶᱻ ᱠᱟᱶᱻ
कुत्ते की आवाज - ᱵᱷᱩᱻ ᱵᱷᱩᱻ
बच्चे की रोने की आवाज - ᱚᱸᱶᱟᱻ ᱚᱸᱶᱟᱻ
हवा का बहना- ᱦᱩᱻ ᱦᱩᱻ
चुड़ियों की ध्वनि- ᱠᱷᱟᱱᱻ ᱠᱷᱟᱱᱻ
बुलेट गाड़ी की ध्वनि- ᱵᱷᱩᱰᱻ ᱵᱷᱩᱰᱻ
पिस्टल की ध्वनि- ᱫᱷᱟᱸᱭᱻ ᱫᱷᱟᱸᱭᱻ
* /ᱼ/(फारका) एक डायक्रिटिक मार्क है। इसका प्रयोग तब किया जाता है, जब glottal stop के बाद कोई स्वर वर्ण आता है, किन्तु glottal stop का उच्चारण परिर्वतन (deglottalize) करने की आवश्यकता नही है, तो glottal stop और स्वर वर्ण के माध्य इस चिन्ह का प्रयोग करते है। उदाहरण -
ᱠᱮᱜᱼᱟᱭ (के: आय)
ᱠᱮᱜᱼᱟ (के: आ)
यदि glottal stop और vowel के माध्य फारका का प्रयोग न हो, तो स्वर वर्ण से glottal stop का उच्चारण परिवर्तन होता, जैसे -
ᱠᱮᱜᱟᱭ (केगाय)
ᱠᱮᱜᱟ (केगा)
ध्यान रहें, स्वर वर्ण की विशेषता है, किसी व्यंजन वर्ण के बाद प्रयुक्त होने पर यह उनका उच्चारण परिवर्तन करता है। अर्थात, अल्फाबेटिक (Alphabetic) लिपि में स्वर वर्ण अपने पूरे अक्षर का रूप लिये व्यंजन के बाद आने पर यह मात्रा का कार्य करता है। जैसे -
ᱠ (क), ᱠᱟ (का), ᱠᱤ (कि/की), ᱠᱩ (कु/कू), ᱠᱮ (के), ᱠᱟᱭ (कै), ᱠᱳ (को), ᱠᱟ.ᱣ (कौ), ᱠᱟᱝ (कं), ᱠᱟᱦ (क:)
इसी तरह स्वर वर्ण glottal stop का उच्चारण परिवर्तन करता है-
ᱜ= ग् /g'
ᱜᱽ= ग /g
ᱜᱚ= गो /go̠
ᱜᱟ= गा/ ga
ᱜᱤ= गी /gi
ᱜᱩ= गु /gu
ᱜᱮ= गे /ge
ᱡ= ज् / j'
ᱡᱽ= ज /j
ᱡᱚ= जो /jo̠
ᱡᱟ= जा /ja
ᱡᱤ= जी /ji
ᱡᱩ= जु /ju
ᱡᱮ= जे /je
ᱫ= द् / d'
ᱫᱽ= द /d
ᱫᱚ= दो /do̠
ᱫᱟ= दा /da
ᱫᱤ= दी /di
ᱫᱩ= दु /du
ᱫᱮ= दे /de
ᱵ= ब् /b'
ᱵᱽ= ब /b
ᱵᱚ= बो /bo̠
ᱵᱟ= बा /ba
ᱵᱤ= बी /bi
ᱵᱩ= बु /bu
ᱵᱮ= बे /be
* /ᱽ/(ओहोद) एक डायक्रिटिक मार्क है, जो ᱜ, ᱡ, ᱦ, ᱫ, ᱰ, ᱵ में प्रयुक्त होकर इन्हें उच्चारण परिवर्तन (Deglottalize) कर व्यंजन वर्ण बनाता है।
ᱜ + ᱽ= ᱜᱽ (ग /g)
ᱡ + ᱽ= ᱡᱽ (ज /j)
ᱫ + ᱽ= ᱫᱽ (द /d)
ᱵ + ᱽ= ᱵᱽ (ब /b)
उदाहरण -
ᱢᱟᱜ (माग् /mag')
ᱢᱟᱜᱽ (माग /mag)
ᱟᱡ (आज् /aj')
ᱟᱡᱽ (आज/aj)
ᱞᱟᱫ (लाद् /lad')
ᱞᱟᱫᱽ (लाद /lad)
ᱛᱟᱵᱽ (ताब/tab)
ᱟᱵ (आब् /ab')
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