ओडिशा में माहली समाज के तीसरे राज्य स्तरीय वार्षिक सम्मेलन 2025

माहली समाज के सभी सम्मानित सदस्यों को हृदय से अभिनंदन और स्नेहपूर्ण जोहार! महाली आदिवासी समाज, ओडिशा द्वारा आयोजित तीसरा राज्य स्तरीय माहली समाज सम्मेलन - 2025 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।

इस सम्मेलन में शामिल सभी अतिथियों को पारंपरिक नृत्य और सांस्कृतिक तरीके से स्वागत किया गया।
माहली सामाज के हित में कार्यरत स्वर्गीय शुक्रा माहली, चरण माहली समाजसेवी जिन्होंने समाज को मजबूती प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई को सभी अतिथियों ने श्रद्धांजलि अर्पित किया और सभी माहली बंधुओं ने इस कार्यक्रम में भाग लें कर सफल बनाया।

ये सम्मेलन ओडिशा के सनराइखाली, खुंटा, मयूरभंज, में 🗓 9 फरवरी 2025 (रविवार) को आयोजित किया गया था यह सम्मेलन हमारी संस्कृति, परंपरा, शिक्षा, सामाजिक सशक्तिकरण और एकता को मजबूत करने का एक ऐतिहासिक अवसर है।

🌟 कार्यक्रम का उद्देश्य
✅ माहली समाज की एकजुटता और संगठन को मजबूत करना
✅ माहली समाज की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति पर विचार-विमर्श
✅ शिक्षा, रोजगार और आत्मनिर्भरता पर जोर
✅ पेसा कानून एवं अन्य आदिवासी अधिकारों पर चर्चा
✅ युवा पीढ़ी को प्रेरित करना और नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा देना
✅ माहली संस्कृति एवं परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देना
🌟 अतिथियों का परिचय
इस भव्य आयोजन में समाज के प्रतिष्ठित और प्रेरणादायक व्यक्तित्व उपस्थित रहेंगे, जो समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

🌟 मुख्य अतिथि:
🔹 मनोरंजन माहली (डिप्टी जनरल मैनेजर, जादूगोड़ा ग्रुप ऑफ माइंस) "माहली समाज को अपनी सामाजिक और पारंपरिक व्यवस्थाओं को बचाए रखने के लिए एकजुट रहना होगा। हमें अपनी संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने के लिए सक्रिय प्रयास करने होंगे।"
🎙 मुख्य वक्ता:
🔹 बिरेन्द्रनाथ माहली (डिप्टी डायरेक्टर, प्रिज़न्स अकादमी, भुवनेश्वर) ने अपने वक्ता में कहा कि, माहली समाज के विकास और एकजुटता पर महत्वपूर्ण विचार अवगत कराया हमारे समाज के कई लोग आजीविका की तलाश में शहरों और बाजारों में बस गए हैं। वे आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे समाज से कटते जा रहे हैं। यदि हमें अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है, तो इसकी शुरुआत हमें अपने घर और गांव से करनी होगी। बाहरी प्रभावों से बचते हुए हमें अपनी पारंपरिक संस्कृति और मूल्यों को संरक्षित रखना आवश्यक है। आज समाज में बदलाव की लहर है, और इस बदलाव को सही दिशा में ले जाने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। अब समय आ गया है कि हम दरिद्रता से ऊपर उठकर, अपने समाज के अन्य जरूरतमंद लोगों के उत्थान के लिए कार्य करें। मेरे सभी समाजबंधुओं से आग्रह है कि जो भी नौकरी कर रहे हैं या आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे अपने गांव को गोद लें और वहां शिक्षा, स्वावलंबन और जागरूकता बढ़ाने में सहयोग करें। समाज ने हमें नाम और पहचान दी है, इसलिए हमारा भी कर्तव्य है कि हम अपने समाज को सशक्त बनाने में योगदान दें। इस मंच के माध्यम से मैं उन सभी महान व्यक्तियों को तहे दिल से धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने इस सम्मेलन को सफल बनाने में योगदान दिया। आपका सहयोग ही हमारे समाज की एकता और उन्नति का आधार बनेगा।

🔹 शामू माहली (प्रधानाचार्य, सितानंद कॉलेज, नंदीग्राम, पश्चिम बंगाल) "शिक्षा और संस्कृति को बचाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। माहली समाज को अपनी पहुचान बनाए रखनी होगी, अन्यथा आने वाली पीढ़ियाँहमारी परंपराओं को भूल जाएंगी। समाज के शिक्षित युवाओं को आगे आकर नेतृत्व करना होगा।"
🔹 संस्थापक - फातु माहली ने कहा कि माहली नाम को लिखना और गर्व सें अपनाना जरूरी है। हमारे रीति-रिवाजों और परंपराओं को हमें संजोकर रखना हौगा। दीकु (गैर-आदिवासी) में शादी करना समाज में अशुभ माना जाता है, इससे हमारी सांस्कृतिक पहचान कमजोर होती है।
🔹 सोमबराय माहली "अपने वक्तव्य से पहले सभी आदिवासी देवी-देवताओं और पूर्वजों को नमन किया। और कहा कि "हमारे पूर्वजों ने जो आदिवासी संस्कृति और परंपराएँ हमें दी हं, उ्हें हमें सहेजना होगा। अगर हमने इन्हें संरक्षित नहीं किया, तो आने वाली पीढियाँ अपनी पहचान खो देंगी।"
🏆 सम्मानित अतिथि:

🔹 शंकर सेन माहली (जोग माझी झारखंड पोनोत, लटिया, झारखंड) ने कहा कि महाली समाज की स्वशासन प्रणाली (माझी-परगना व्यवस्था) को मजबूत करने की जरूरत है। हइमें अपने पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को पुनर्जीवित करना होगा ताकि बाहरी प्रभावों से समाज सुरक्षित रह सके। माहली समाज को अपनी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को मजबूत करने और एकजुट रहने की जरूरत है।
🔹 कान्हू राम मार्डी (डिशोम पारगना, झारखंड पारगना, कुइलिसुता) ने कहा कि "हमारी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था और सामाजिक संरचना को और मजबूत करने के लिए संगठित प्रयास करने होंगे।"
🔹 जोशोदा बेसरा (असिस्टेंट ट्रेनिंग ऑफिसर, चौदर ITI)
"हमें अपने समाज के बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना होगा। समाज के मेधावी छात्रों की मदद के लिए व्यक्तिगत स्तर पर योगदान देना का भरोसा दिलाया है।"
🔹 बिश्वनाथ माहली (सचिव, पश्चिम बंगाल माहली कल्याण समिति) "हमारे समाज की परंपराओं को एकजुट रखने की जरूरत है। असम, बिहार, बंगाल, झारखंड और ओडिशा के महाली समाज की रीति-रिवाज और संस्कृति समान होनी चाहिए, जिससे समाज में एकरूपता और एकता बनी रहे।"
🔹 सनराइखाली माझी बाबा - दुर्गा चरण बेसरा
"माहली समाज को आर्थिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाने के लिए हमें संगठित प्रयास करने होंगे। यह समेलन समाज को एक नई दिशा देने का कार्य करेगा।"

🔹 रमेश माहली (चीफ सुपरिटेंडेंट, UCIL जादूगोड़ा)
"माहली समाज के लोग विभिन क्षेत्रों में कार्यरत हैं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपने समाज संकट से कट न जाएँ। हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरकषित करने के साथ-साथ नए युग के अनुसार आगे बढ़ने की जरूरत है।
🔹 महादेव माहली (पश्चिम बंगाल पोनात पारगना)
"अब वक्त आ गया है कि माहली समाज अपने अधिकारों और उत्थान के लिए एकजुट होकर काम करे। हमें संगठित होकर अपने समाज की भलाई के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।"
🌿 हम क्यों करें इस सम्मेलन में भागीदारी?
🎯 माहली समाज की एकता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है! इस सम्मेलन में भाग लेकर हम समाज की प्रगति और भविष्य को मजबूत बना सकते हैं। यह मंच हमें अपनी संस्कृति, पहचान और अधिकारों को समझने और उन्हें संरक्षित करने का अवसर देता है।
✔️ अपने माहली समाज की जड़ों को और मजबूत करें।
✔️ शिक्षा, रोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ें।
✔️ समाज में नई सोच, विचारधारा और योजनाओं को अपनाएं।
✔️ युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन दें।
🎭 सांस्कृतिक कार्यक्रम और समाज की झलक
🎶 पारंपरिक महाली नृत्य और गीतों ने पूरे माहौल को जीवंत बना दिया।
🏹 युवा पीढ़ी ने अपनी संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने का संकल्प लिया।
🌟 हम सभी माहली समाज के भाइयों और बहनों से निवेदन करते हैं कि इस ऐतिहासिक सम्मेलन का हिस्सा बनें और इसे सफल बनाने में अपनी उपस्थिति समाज हित में देकर एक नए युग की ओर ले जाने में सहायक प्रदान किए इस के लिए सभी को आभार।
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🔹 माहली समाज – एकता हमारी पहचान! 🏹
🔹 माहली संस्कृति – हमारी धरोहर!
🔹 माहली समाज की उन्नति – हमारा संकल्प!
🚀 जय माहली समाज! 🏹
🙏 जोहार!
S S Mahali 🏹
जोग माझी झारखण्ड पोनोत।
आदिम माहली माहाल
(पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था)
_ऐसे ही_
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