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आदिवासी स्वशासन व्यवस्था का हास और बाहरी हस्तक्षेप

लेखक की तस्वीर: S S MahaliS S Mahali

आदिवासी समाज की परंपरागत स्वशासन व्यवस्था, जो ग्राम सभा, मांझी - परगना, मनकी - मुंडा, ढोकलो - सोहोर, पाड़हा - राजा, पंच - परगना, नायके, पाहन जैसी पारंपरिक व्यवस्था के माध्यम से संचालित होती थी, आज बाहरी प्रशासनिक व्यवस्थाओं के थोपे जाने से कमजोर होती जा रही है।


"दिकू व्यवस्था" जबरन लागू कर आदिवासी स्वशासन को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे न केवल हमारी पारंपरिक और संवैधानिक विशेषताएं प्रभावित हो रही हैं, बल्कि हमारे भूमि, संसाधन और अधिकारों का तेजी से हनन हो रहा है।


🔴 हमारी परंपरा, विरासत और संस्कृति पर संकट

ग्राम सभाओं की उपेक्षा: प्रशासनिक निर्णयों में ग्राम सभाओं की राय को दरकिनार किया जा रहा है।

भूमि अधिकारों पर खतरा: JLARR 2015 जैसे कानून आदिवासी भूमि को कॉर्पोरेट और बाहरी शक्तियों को सौंपने का प्रयास कर रहे हैं।

धार्मिक स्थलों का अतिक्रमण: आदिवासीयों का पूजा स्थल, जाहेरथान, मसानिया, हड़गड़ी जैसे धार्मिक स्थलों पर बाहरी दबाव बढ़ रहा है।

रोजगार का संकट: सरकार की नीतियां आदिवासियों को मजदूरी तक सीमित कर रही हैं, जबकि हमारे पारंपरिक व्यवसाय और आजीविका के साधन नष्ट हो रहे हैं।


आदिवासी युवाओं की भूमिका – सिर्फ नौकरी नहीं, व्यापार और प्रशासन में भागीदारी जरूरी हैं।

स्वरोजगार और व्यापार: केवल नौकरी के पीछे भागने के बजाय व्यापार, उद्यमिता और आत्मनिर्भरता को अपनाना होगा।

प्रशासन में भागीदारी: पंचायत, पारंपरिक ग्राम सभा और पारंपरिक संस्थाओं में युवाओं को सक्रिय रूप से शामिल होना होगा।

संविधान और PESA कानून की समझ: युवाओं को अपने संवैधानिक अधिकारों को समझकर समुदाय के संरक्षण में आगे आना होगा।

तकनीक और मीडिया का उपयोग: अपने अधिकारों के लिए डिजिटल मीडिया और सामाजिक प्लेटफार्मों का प्रभावी उपयोग करना होगा।


🚨 वर्तमान में हो रहे खतरनाक बदलाव

🔹 ग्राम सभाओं को कमजोर किया जा रहा है, जिससे बाहरी शक्तियां आदिवासी क्षेत्र पर नियंत्रण पा रही हैं।

🔹 भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज हो रही है, जिससे आदिवासी विस्थापन बढ़ रहा है।

🔹 अल्पसंख्यक भाषाओं और परंपराओं को संरक्षित करने के प्रयास कमजोर हो रहे हैं, जिससे आदिवासी पहचान संकट में है।

🔹 खान और खनिज क्षेत्र में बाहरी कंपनियों का बढ़ता वर्चस्व, जबकि स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा।


🔥 सभी आदिवासी युवाओं से अपील

✊ जागरूक बनें, संगठित हों और अपनी जिम्मेदारियों को समझें!

🛡️ आदिवासी स्वशासन व्यवस्था को मजबूत करें!

🌱 स्वरोजगार अपनाएं, व्यापार में आगे बढ़ें और अपनी अर्थव्यवस्था को सशक्त करें!


🏛️ ग्राम सभा और गाँव की प्रशासनिक कार्यों में भाग लें, ताकि बाहरी हस्तक्षेप को रोका जा सके!


आइए, मिलकर अपने आदिवासी समाज, संस्कृति और परंपरागत स्वशासन व्यवस्था को पुनः सशक्त बनाएं!

 

_ऐसे ही_

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